देश के बड़े सेक्टर में शामिल डेयरी से जुड़े कारोबारियों की नजर भी बजट 2024 पर लगी हुई हैं. हालांकि बीते कुछ साल से इंटरनेशनल मार्केट में इंडियन डेयरी प्रोडक्ट की डिमांड बढ़ रही है. लेकिन जिस तेजी से डेयरी सेक्टर का विकास हो रहा है उतना फायदा पशुपालकों और छोटे डेयरी फार्मर को नहीं मिल पा रहा है. बजट को ध्यान में रखते हुए इंडियन डेयरी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट आरएस सोढ़ी ने किसान तक को बताया कि अगर सरकार डेयरी सेक्टर को सिर्फ एग्रीकल्चर में शामिल कर ले तो दो बड़े फायदे हो सकते हैं.
और सबसे बड़ी बात ये कि दोनों ही फायदों से कहीं न कहीं केन्द्र सरकार का किसान की इनकम डबल करने का सपना भी पूरा होगा. आरएस सोढी ने बताया कि आज डेयरी सेक्टर की ताकत उसकी मजबूत सप्लाई चैन है. बेशक दूध उत्पादन अनर्गनाइज्ड है, लेकिन वैल्यू चैन, पैकिंग, प्रोसेसिंग तकनीक सब इतनी ऑर्गनाइज्ड है कि ग्राहक को ताजा डेयरी प्रोडक्ट मिल रहे हैं. देश ही नहीं विदेशों में भी बड़ी मात्रा में डेयरी प्रोडक्ट एक्सपोर्ट किए जा हैं. आज विश्व के कुल दूध उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 23 फीसद है.
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इंडियन डेयरी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट और अमूल के पूर्व एमडी आरएस सोढ़ी का कहना है कि अगर डेयरी को एग्रीकल्चर की कैटेगिरी में शामिल कर लिया जाए तो हमे इसका दोहरा फायदा मिलेगा. इससे कम जमीन या फिर भूमिहीन किसानों की न सिर्फ अच्छी आय होगी बल्कि इनकम डबल हो जाएगी. क्योंकि अभी डेयरी सेक्टर को इंडस्ट्री में शामिल किया जाता है, उसी हिसाब से बिजली की रेट हैं. इनकम टैक्स भी उसी दायरे में वसूला जा रहा है. दूध और दूध से बने उत्पादों पर टैक्स कम से कम लगना चाहिए. अगर केन्द्र सरकार इसे एग्रीकल्चर की कैटेगिरी में शामिल करने के साथ ही इसमे इंवेस्ट बढ़ाती है और डेयरी से जुड़े स्टार्टअप को मदद देती है तो इससे नौकरियों के अवसर भी बढ़ेंगे.
आरएस सोढ़ी का कहना है कि ऐसा नहीं है कि हमारे देश में दूध का उत्पादन सरप्लस हो रहा है. अगर सरकार डेयरी सेक्टर को मदद करती है तो दूध उत्पादन बढ़ने से वो बेकार नहीं जाएगा. हमारे आसपास के देशों में दूध और उससे बने उत्पादों की बहुत डिमांड है. क्या दूध पर एमएसपी तय होनी चाहिए के सवाल पर सोढ़ी का कहना है कि मैं दूध की एमएसपी के समर्थन में नहीं हूं. क्योंकि एमएसपी तय होने के बाद अगर वक्त से दूध नहीं बिका तो वो बेकार हो जाएगा. सरकार दूध खरीदेगी नहीं. क्योंकि अगर सरकार दूध खरीदेगी तो फिर सरकार को दूध रखने के लिए प्रोसेसिंग प्लांट तैयार कराने होंगे. इसलिए एमएसपी की बात करना बेमानी है.
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एपीडा के आंकड़े बताते हैं कि दो साल के मुकाबले 2021-22 में डेयरी प्रोडक्ट का एक्सपोर्ट कई गुना बढ़ गया है. इस मामले में भारत से बड़ी मात्रा में डेयरी प्रोडक्ट खरीदने वालों में 10 प्रमुख देश हैं. यह वो देश हैं जिन्होंने इस साल कई गुना ज्यादा दूध, घी और मक्खन के साथ दूसरे प्रोडक्ट खरीदे हैं. इसमे पहले, दूसरे और तीसरे नंबर पर बांग्लादेश 684 करोड़, यूएई 438 करोड़ और बहरीन 214 करोड़ रुपये हैं. जबकि साल 2019-20 में बांग्लागदेश ने 8 करोड़ के डेयरी प्रोडक्ट , यूएई ने 264 करोड़ और बहरीन ने 25 करोड़ रुपये के डेयरी प्रोडक्ट भारत से खरीदे थे.