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Meat Dairy Export: यूरोप में बफैलो मीट और डेयरी प्रोडक्ट एक्सपोर्ट को लेकर शुरू हुई चर्चा, जानें वजह 

Meat Dairy Export: यूरोप में बफैलो मीट और डेयरी प्रोडक्ट एक्सपोर्ट को लेकर शुरू हुई चर्चा, जानें वजह 

तीन नवंबर को कृषि भवन में विदेशी डेलीगेशन के साथ मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की एक मीटिंग हुई थी. मीटिंग के दौरान खासतौर पर यूरोपीय संघ में भारतीय बफैलो मीट और डेयरी प्रोडक्ट के एक्सपोर्ट को लेकर चर्चा हुई. साथ ही पोल्ट्री प्रोडक्ट के एक्सपोर्ट पर भी बात हुई.

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दूध उत्पादन में भारत विश्व में पहले स्थान पर है. दूध उत्पादन में भारत विश्व में पहले स्थान पर है.

यूरोप बफैलो मीट और डेयरी प्रोडक्ट के लिए एक बड़ा बाजार है. भारत के एक्सपोर्टर की निगाह भी इस बाजार पर रहती है. लेकिन जांच संबंधी कई मामलों के चलते भारतीय एक्सपोर्टर अपने प्रोडक्ट लेकर अभी इस बाजार तक नहीं पहुंच पाते हैं. लेकिन बीते साल नवंबर में हुई एक मीटिंग की रिपोर्ट ने इस बाजार के लिए आस जगा दी है. खुशखबरी ये है कि यूरोप के बाजारों में बफैलो मीट और डेयरी प्रोडक्ट एक्सरपोर्ट किए जाने को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं. उम्मीद है जल्द ही इस बाजार के रास्ते भारतीय एक्सपोर्टर के लिए खुल जाएंगे. 

गौरतलब रहे दूध उत्पादन में भारत विश्व में पहले स्थान पर है. वहीं सभी तरह के मीट उत्पादन में 8वां स्थान रखता है. देश में साल 2022-23 में 9.77 मिलियन टन मीट का उत्पादन हुआ था. एक मोटे अनुमान के मुताबिक हर साल मीट उत्पाादन पांच फीसद की दर से बढ़ रहा है. 

जानें क्यों यूरोपीय देशों को एक्सपोर्ट नहीं होता बफैलो मीट 

मंत्रालय से जुड़े जानकारों की मानें तो गाय-भैंस और भेड़-बकरी में खुरपका-मुंहपका (एफएमडी) बीमारी पाई जाती है. इस बीमारी को खत्म करने के लिए साल 2020-21 से एफएमडी वैक्सीन के नाम से एक अभियान चल रहा है. पहले महीने कुछ तकनीकी कमियों के चलते अभियान धीमी गति से चला था. लेकिन अब इस अभियान ने रफ्तार पकड़ ली है. एफएमडी पशुओं में बहुत खतरनाक बीमारी मानी जाती है. यही वजह है कि यूरोपीय देश भारत से बफैलो मीट और डेयरी प्रोडक्ट खरीदने से बचता है. 

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यूरोपीय देशों को इसलिए शुरू हो सकता है एक्सपोर्ट

इस बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए चल रहे टीकाकरण अभियान ने रफ्तार पकड़ ली है. एफएमडी टीकाकरण अभियान अब धीरे-धीरे कामयाबी की ओर बढ़ रहा है. कई राज्यों में तीसरा चरण पूरा होने के बाद चौथा चरण शुरू हो गया है. अफसरों की मानें तो जल्द  ही एफएमडी पर काबू पा लिया जाएगा. टीकाकरण को लेकर किसानों में अब जागरुकता आ रही है. इस बीमारी के चलते पशुपालकों को बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है. 

तीसरे चरण में 12 राज्यों  के पशुओं को लग चुका है टीका 

जानकारों की मानें तो देश के 12 राज्यों में एफएमडी टीकाकरण का तीसरा चरण पूरा हो चुका है. जबकि 17 राज्यों में अभी तीसरे चरण का टीकाकरण चालू है. मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक तीसरे चरण के टीकाकरण में 12 करोड़ पशुओं का टीकाकरण हो चुका है. अच्छी बात ये है कि छह राज्यों में चौथे चरण का टीकाकरण शुरू हो चुका है. चौथे चरण के तहत 4.22 करोड़ वैक्सीन सभी छह राज्यों को भेजी जा चुकी है. अच्छी बात ये है कि तीसरे चरण में शामिल ज्यादातर राज्य बड़ी मात्रा में दूध का उत्पादन करते हैं. 

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जानकारों की मानें तो केरल, आंध्रा प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडू, पुडुचेरी, गोवा, लद्दाख, महाराष्ट्र्, दिल्ली, चंडीगढ़, ओडिशा और लक्ष्यदीव में एफएमडी टीकाकरण का तीसरा चरण पूरा हो चुका है. जबकि गुजरात, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, अंडमान-निकोबार, मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, मेघालय, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, असम, पश्चिम बंगाल और झारखंड में अभी तीसरा चरण चल रहा है. इसके भी जल्द ही पूरा होने की उम्मीद है.