महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं. यहां 20 नवंबर को एक ही चरण में 288 सीटों पर मतदान किया जाएगा. लेकिन, वहीं, राज्य के लगभग 10 लाख मतदाता अपने मतों का प्रयोग नहीं कर पाएंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि राज्य में 15 नवंबर से गन्ने की पेराई शुरू होने वाली है. इसको लेकर पश्चिमी महाराष्ट्र के अलग-अलग जिलों में लोग सड़कों पर ट्रैक्टर-ट्रॉलियां, कपड़ों, बर्तनों, साधारण टेंट और छोटी-छोटी चीजों के ढेर के साथ दिख रहे हैं. ये वहीं लोग हैं जो अपने मतो का प्रयोग नहीं कर पाएंगे क्योंकि ये गन्ने की कटाई के लिए एक जगह से दूसरी जगह जा रहे हैं.
ये मजदूर गन्ना काटने के लिए अपने घरों से कई पड़ोसी राज्यों में और जिलों में जा रहे हैं. इस साल, पेराई सत्र चुनाव की तारीख से टकरा रहा है, जिसका मतलब है कि नंदुरबार, धुले, बीड, परभणी और जलगांव जैसे जिलों के 10 लाख से अधिक मजदूर अपने मताधिकार का प्रयोग करने से चूक सकते हैं.
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चुनाव की घोषणा से बहुत पहले एक मंत्रिस्तरीय समिति ने फैसला किया था कि राज्य में पेराई 15 नवंबर से शुरू होगी. सरकार ने चुनाव आयोग से गन्ना काटने के कार्यक्रम को 10 दिन के लिए स्थगित करने का आग्रह किया था. महाराष्ट्र गन्ना काटने वाले और परिवहन कर्मचारी संघ ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की थी कि चुनाव आयोग या तो मतदान के दिन मजदूरों को उनके घर पहुंचाने की व्यवस्था करे या फिर उन्हें उनके काम वाली जगहों के नजदीक बूथों पर मतदान करने दे.
इस मामले पर हाई कोर्ट ने चार सप्ताह बाद सुनवाई निर्धारित की है. याचिका दायर करने वाले संघ के अध्यक्ष जीवन हरिभाऊ राठौड़ ने आशंका जताई कि बड़ी संख्या में मतदाता गांवों से दूर होने की स्थिति में फर्जी मतदान बढ़ सकता है. वहीं, मजदूरों के लिए आजीविका कमाना बड़ी प्राथमिकता है. वहीं, एक मजदूर ने कहा कि उनका पूरा खर्च इस कटाई के मौसम पर निर्भर करता है.
वहीं, कई स्थानीय नेताओं और लोगों ने अपील की है कि ये मजबूर चुनाव के बाद ही दूसरे राज्यों या दूसरे जिलों में गन्ने की कटाई करने जाएं. ताकि इससे चुनाव प्रभावित ना हो. साथ ही मजदूरों के लिए कमाई का यही मौसम होता है.