UP: देवरिया में बायोफ्लॉक विधि से मछली पालन कर रहे किसान, आय में हुई चार गुना वृद्धि

UP: देवरिया में बायोफ्लॉक विधि से मछली पालन कर रहे किसान, आय में हुई चार गुना वृद्धि

भाटपार रानी तहसील की पिपरापट्टी ग्राम निवासी महिला किसान मनोरमा सिंह बायोफ्लॉक विधि से मछली पालन कर रही हैं. उन्हें इसका फायदा भी मिल रहा है. कुछ साल पहले तक वे अपनी पांच एकड़ भूमि पर खेती करके डेढ़ से दो लाख रुपये ही अर्जित कर पाती थीं. अब सात-आठ लाख कमाई हो रही है.

देवरिया में बायोफ्लॉक विधि से मछली पालन हो रहा हैदेवरिया में बायोफ्लॉक विधि से मछली पालन हो रहा है
राम प्रताप सिंह
  • DEORIA (UP),
  • Jul 20, 2023,
  • Updated Jul 20, 2023, 6:15 PM IST

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के सहयोग से मछली पालन करना अब आसान हो गया है. इसमें एक नई तकनीक का इस्तेमाल कर किसान अपनी आय को कई गुना बढ़ा सकते हैं. यह तकनीक है बायोफ्लॉक विधि जिसमें मछली पालन करना बहुत ही आसान है. इस विधि के जरिये 0.1 एकड़ जमीन पर एक मीटर गड्ढा खोदकर (35 मीटर लंबा×35 मीटर चौड़ा) कृत्रिम तालाब का निर्माण कराया जाता है. इस गड्ढे में तारपोलिन बिछाकर उसमें पानी भरा जाता है और ग्रोइंग फ़िश डाला जाता है. सरकार इसके लिए किसानों को आठ लाख 40 हज़ार रुपये की सब्सिडी दे रही है.

यह योजना 14 लाख रुपये की है. इससे एक साल में 16 टन मछली का उत्पादन होगा. देवरिया के जिलाधिकारी अखंड प्रताप सिंह ने इसके लिए विशेष पहल की है. उनका कहना है कि योजना का मुख्य उद्देश्य तटीय शहरों और नदियों के किनारे बसे कस्बों, गांवों तक इसका लाभ पहुंचाना है. डीएम ने बताया कि जनपद में अभी भी मछली का बड़े पैमाने पर आयात किया जाता है. लेकिन बायोफ्लॉक विधि से मछली पालन भी होगा और इससे किसान लाभान्वित होंगे.

महिला किसान की सक्सेस स्टोरी

जनपद के भाटपार रानी तहसील की पिपरापट्टी ग्राम निवासी महिला किसान मनोरमा सिंह बायोफ्लॉक विधि से मछली पालन कर रही हैं. उन्हें इसका फायदा भी मिल रहा है. कुछ साल पहले तक वे अपनी पांच एकड़ भूमि पर खेती करके डेढ़ से दो लाख रुपये ही अर्जित कर पाती थीं. इसी दौरान लगभग तीन साल पहले उन्हें ब्योफ्लॉक मछली पालन की जानकारी हुई. उन्होंने विकास भवन स्थित मत्स्य पालन विभाग से संपर्क किया जहां उन्हें विस्तृत जानकारी मिली. इसी विभाग से मनोरमा सिंह को ट्रेनिंग भी मिली.

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सात-आठ लाख रुपये तक बढ़ी कमाई

आज किसान मनोरमा सिंह इस विधि से मछली पालन कर अपनी आय लगभग सात से आठ लाख रुपये तक बढ़ा चुकी हैं. इससे वे बेहद खुश हैं और शासन-प्रशासन का आभार जता रही हैं. मनोरमा सिंह 25 डिसमिल जमीन में मछली पालन और बाकी जमीन पर खेती करती हैं और चारा बोती हैं. बायोफ्लॉक विधि में कृत्रिम टैंक से निकलने वाले पानी का उपयोग खेती में किया जा सकता है. 

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खास बात यह है कि इस पानी में ऐसे पोषक तत्व हैं जो मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाते हैं. इस विधि में फंगेसियस और तिलपिया प्रजाति की मछली का पालन विशेष तौर पर किया जाता है क्योंकि यह बहुत तेजी से बढ़ने वाली मछली हैं. मुख्य कार्यकारी अधिकारी (मत्स्य पालन) नंद किशोर ने बताया कि यह तकनीक पूरी तरह से इको फ्रेंडली है जिसमें मछलियां तेज़ गति से वृद्धि करती हैं.

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