इरादे मजबूत हों और जीवन में कुछ कर गुजरने की चाह हो, तो रास्ते खुद-ब-खुद बन जाते हैं. बिहार के सिवान जिले के जनता बाजार के रहने वाले नौशाद मजहर ने कुछ ऐसा ही कर दिखाया है. कभी कोलकाता में एक आईवियर कंपनी में नौकरी करने वाले नौशाद आज बकरी पालन के क्षेत्र में सफलता की नई कहानी लिख रहे हैं. बीते पांच वर्षों में वे दस लाख रुपये से अधिक की बकरियां बेच चुके हैं. आज वे न केवल आत्मनिर्भर हैं, बल्कि अन्य युवाओं के लिए भी प्रेरणा बन रहे हैं.
नौशाद बताते हैं कि जब वे कोलकाता में एक आईवियर कंपनी में कार्यरत थे, तभी उनके मन में बकरी पालन का विचार आया. इसके बाद उन्होंने 2019 में गांव लौटने का फैसला लिया और 2020 में 1.33 लाख रुपये की लागत से 10 बरबरी नस्ल की बकरियों के साथ इस व्यवसाय की शुरुआत की. उन्होंने खुद की जमीन में 4 से 5 लाख रुपये खर्च कर बकरियों के लिए आधुनिक आवास भी तैयार कराया. आज उनके पास देसी के साथ-साथ साउथ अफ्रीकन बोअर जैसी विदेशी नस्ल की बकरियां भी हैं.
पिछले पांच वर्षों में नौशाद ने अपने व्यवसाय को लगातार विस्तार दिया. जहां उन्होंने 10 बकरियों से शुरुआत की थी, वहीं आज उनके पास लगभग 50 बकरियों का झुंड है. अब तक वे 70 से 80 बकरियां बेच चुके हैं, जिनमें एक साउथ अफ्रीकन बोअर बकरी को उन्होंने 75,000 रुपये में बेचा. कुल मिलाकर वे अब तक 10 लाख रुपये से अधिक की बकरियां बेच चुके हैं. उनके फार्म में 7,000 से लेकर 75,000 रुपये तक की कीमत वाली बकरियां मौजूद हैं. वे खुद ही ब्रीडिंग करते हैं और स्थानीय बाजारों में बकरियों की बिक्री भी करते हैं.
नौशाद मजहर बताते हैं कि एक बकरी पर सालाना 7,000 से 8,000 रुपये तक का खर्च आता है, लेकिन सही प्रबंधन और अच्छी नस्ल की बकरियों के चलते लाभ कई गुना बढ़ जाता है. वे आधुनिक तकनीकों से बकरी पालन कर रहे हैं और एलिवेटेड सेटअप अपनाया है, जिससे सफाई, बीमारियों की रोकथाम और प्रजनन प्रबंधन बेहतर हो पाता है. नौशाद की कहानी यह बताती है कि अगर व्यक्ति के पास साहस, मेहनत और सही रणनीति हो, तो गांव में रहकर भी बड़ा सपना साकार किया जा सकता है.आज वे सिर्फ एक सफल पशुपालक ही नहीं, बल्कि गांव के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुके हैं.