Golden King Fish in Pond समुद्री मछलियों के मामले में सेंट्रल समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (CMFRI), कोच्चि को लगातार एक के बाद एक कामयाबी मिल रही हैं. कई बार संस्थान सर्वे और रिसर्च के आधार पर मछलियों को बचाने वाले अलर्ट भी जारी कर रहा है. हाल ही में संस्थान ने गुम होने के कगार पर पहुंच चुकी ऐसी ही एक मछली को बचाया है. इसका नाम है गोल्डन किंग मछली. साइंटिस्ट के बीच इसे ग्नैथनोडोन स्पेशियोसस के नाम से जाना जाता है. इस मछली की ये खासियत है कि इसे घर के एक्वेरियम में सजाया भी जाता है तो किचन में पकाया भी जाता है.
कैसे होती है गोल्डन मछली?
- रिसर्च करने वाले साइंटिस्ट डॉ. रितेश रंजन ने इस पर जानकारी दी है.
- डॉ. रितेश रंजन ने गोल्डन मछली पर पांच साल तक रिसर्च की है.
- गोल्डन मछली की पहचान उसके पीले रंग से होती है.
- गोल्डन मछली के पेट पर पीला रंग होता है.
- मछली के शरीर पर जगह-जगह काले धब्बे होते हैं.
- सभी पंख पीले रंग के और इसकी पूंछ काले रंग की होती है.
- युवा गोल्डन मछली ज्यादा सुनहरे रंग की होती है.
- उस पर काले रंग की पट्टियां उन्हें बहुत डीसेंट लुक देती हैं.
- इसीलिए ज्यादातर लोगों की कोशिश एक्वेरियम में रखने की होती है.
- सजावटी गोल्डन मछली बाजार में 150 से 250 रुपये प्रति पीस मिलती है.
- खाने के लिए बाजार में ये 400 से 500 रुपये किलो तक बिकती है.
ऐसे घटती चली गई गोल्डन मछली?
- CMFRI ने फिश लैंडिंग के आंकड़ों पर 5 साल सर्वे किया था.
- गोल्डन मछली ज्यादातर तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल, कर्नाटक और गुजरात में पकड़ी जाती है.
- पांचों राज्य के रीफ क्षेत्र के फिश लैंडिंग सेंटर पर पकड़ी गई मछलियां उतारी जाती है.
- पांच साल 2019 से 2023 के दौरान कम गोल्डन मछली लैंडिंग सेंटर पर आईं.
- 2019 से 2023 के दौरान 1106, 1626, 933, 327 और 375 टन मछली ही पकड़ी गईं.
- ये आंकड़ा रामनाथपुरम, नागापट्टिनम, चेन्नई, पुदुकोट्टई, तिरुवनंतपुरम, एर्नाकुलम, तिरुनेलवेली, तंजावुर का है. तूतीकोरिन, उडुपी और गिर सोमनाथ जिले भी इसमे शामिल हैं.
गोल्डन मछली की खासियत क्या है?
- CMFRI डायरेक्टर डॉ. ए. गोपाल कृष्णन के मुताबिक इस मछली से बहुत फायदा होगा.
- ये भारतीय समुद्री कृषि में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है.
- गोल्डन मछली अपने गुणों के चलते समुद्री खेती के लिए आदर्श फसल है.
- इसकी कमी के दौरान कैप्टिव प्रजनन में सफलता मिलना ज्यादा महत्वपूर्ण है.
- यह समुद्री पिंजरे की खेती और समुद्री कृषि प्रथाओं के माध्यम से टिकाऊ मछली पालन के मौके देगी.
- गोल्डन मछली अपनी तेज विकास दर, मांस की क्वा लिटी और सजावटी होने के चलते बाजार में इसकी बहुत डिमांड रहती है. इस मछली का रेट 400 से 500 प्रति किलो तक है.
- गोल्डन किंग रीफ से जुड़ी मछली है.
- ये बड़ी मछलियों जैसे स्केट्स, शार्क, ग्रुपर्स आदि के साथ रहती है.
- युवा गोल्डन मछली शार्क के लिए पायलट के रूप में काम करती हैं.
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