Lumpy Skin Disease Virus: उत्तर प्रदेश में लंपी वायरस को लेकर जारी अलर्ट के बीच कासगंज जिले में जिलाधिकारी हर्षिता माथुर ने पशु हाट एवं पशु मेलों पर प्रतिबंधित लगा दिया है. कासगंज के पशु चिकित्साधिकारी और जिले के नोडल अधिकारी डॉ. राघवेंद्र यादव ने बताया कि अभी तक कोई भी पशु लंपी वायरस से पीड़ित नहीं मिला है. उन्होंने बताया कि दो दिन पहले जिलाधिकारी हर्षिता माथुर ने लंपी डिजीज की रोकथाम के लिए एक बैठक लिया था, जिसमें उन्होंने निर्देश देते हुए कहा कि किसी भी पशु मेलों और पशु हाट पर रोक रहेगी. नोडल अधिकारी के मुताबिक 60 हजार वैक्सीन शुक्रवार को मिली है, जल्द ही पशुओं का टीकाकरण किया जाएगा. यह एक स्किन डिजीज है जिसमें गाय के पूरे शरीर में गांठें निकल जाती हैं. इसमें पशुओं की एक से पांच प्रतिशत तक मौत होने की संभावना होती है.
बाराबंकी जिले में लंपी वायरस से पीड़ित 212 संदिग्ध पशु मिले है. मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डा. धर्मेंद्र पांडेय ने किसान तक से बातचीत में बताया कि जिले भर में पशुओं का टीकाकरण किया जा रहा है, ताकि पशुओं में वायरस से बचा जा सके. उन्होंने कहा कि अबतक 75 हजार 200 वैक्सीन पशुओं को लगाई जा चुकी है. चिह्नित सभी पशुओं को गांव से बाहर निकालकर इलाज शुरू कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि पीछले साल के मुकाबले इस साल लंपी के माइल्ड केस सामने आ रहे है.
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आपको बता दें कि बीते दिनों देवरिया जनपद में भी लंपी वायरस ने दस्तक दी थी. इस वायरस ने 100 से अधिक गोवंशों को अपनी चपेट में ले लिया है. लंपी वायरस का एक ऐसा ही मामला गौरी बाजार ब्लॉक के मठिया माफी से सामने आया था जिसमें एक गाय की मौत हो गई थी.
इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को पशुओं में लंपी वायरस से बचाव के प्रबंधन की समीक्षा की और आवश्यक दिशा-निर्देश दिए. सीएम योगी ने कहा कि हाल के दिनों में गोवंश पर लंपी वायरस का दुष्प्रभाव देखने को मिला है. इस संक्रमण के कारण कई राज्यों में व्यापक पशुधन हानि हुई है. प्रदेश में इसके प्रसार को रोकने के लिए हमें मिशन मोड में काम करना होगा. स्थिति सामान्य होने तक प्रदेश में पशुमेलों का आयोजन स्थगित रखा जाए. उन्होंने कहा कि अंतरराज्यीय पशु परिवहन पर रोक लगाई जाए. पशुपालकों को संक्रमण के लक्षण और उपचार के बारे में पूरी जानकारी दी जाए. वहीं गोआश्रय स्थलों में अनावश्यक लोगों का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया जाए.
लंपी वायरस, जिसे लंपी त्वचा रोग वायरस के रूप में भी जाना जाता है. वास्तव में एक प्रकार का पॉक्सवायरस है. इस वजह से, जानवर टिक्स से बुरी तरह संक्रमित हो जाते हैं क्योंकि वे फर को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देते हैं. जानवरों को भी बुखार हो जाता है. पशुओं में दूध का उत्पादन कम हो जाता है तथा त्वचा पर गांठें पड़ जाती हैं.
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इसके अलावा पशुओं को भी मास्टिटिस की बीमारी हो जाती है, लिम्फ नोड्स में सूजन आ जाती है. जानवरों को भूख नहीं लगती, नाक बहने लगती है और आंखों से पानी आने लगता है. इसके अलावा संक्रमित गाय-बैलों में लंबे समय तक बांझपन की समस्या भी देखी जाती है.
लंपी वायरस को फैलने से रोकने का एक तरीका यह है कि जैसे ही आपको ये लक्षण दिखें, अपने पशुओं का टेस्ट करवाएं इसके अलावा आपको अपने संक्रमित मवेशियों से अन्य मवेशियों को अलग कर देना चाहिए. इसके साथ ही बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए कुछ रोकथाम के उपाय करने चाहिए.
इसके अलावा लोगों को संबंधित अधिकारियों और पशु चिकित्सकों से सलाह लेते रहना चाहिए. इसके साथ ही आपको अपने अन्य जानवरों पर भी कड़ी नजर रखनी चाहिए और इस दौरान इन जानवरों के दूध का सेवन करने से बचना चाहिए. दुर्भाग्य से ढेलेदार गाय त्वचा रोग के लिए कोई विशिष्ट एंटीवायरल उपचार नहीं है. गांठदार वायरस के लक्षणों का इलाज करने के लिए, जानवरों को घाव देखभाल स्प्रे, दर्द निवारक और एंटीबायोटिक्स दिए जाते हैं.