नेपाल में तेजी से पैर पसारने के बाद अब लंपी वायरस ने उत्तर प्रदेश के देवरिया जनपद में भी दस्तक दे दी है. इस वायरस ने सौ से अधिक गोवंशों को अपनी चपेट में ले लिया है. यह एक स्किन डिजीज है जिसमें गाय के पूरे शरीर में गांठें निकल जाती हैं. इसमें पशुओं की एक से पांच प्रतिशत तक मौत होने की संभावना है. जनपद में लंपी वायरस के संक्रमण से एक गोवंश की मौत होने के बाद जिला प्रशासन हरकत में आ गया है. इसके लिए टीकाकरण अभियान चलाकर इसकी रोकथाम करने में विभाग जुट गया है. दो लाख तीस हजार गोवंश में अभी तक 30 हज़ार का टीकाकरण कराया जा चुका है. लंपी वायरस से संक्रमित वे पशुपालक परेशान हैं जिनकी गायों में यह लक्षण दिखाई दे रहा है.
उधर महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले में भी लंपी वायरस बीमारी का प्रकोप देखा जा रहा है. नांदेड़ में तीन सौ ज्यादा मवेशियों की मौत हो चुकी है. सैकड़ों मवेशी इस जानलेवा लंपी वायरस से प्रभावित है. हालांकि पशुपालन विभाग ने बड़े पैमाने पर मवेशियों का टीकाकरण करवाया है. इसके बावजूद वायरस का अटैक तेजी से फैल रहा है. कमोबेस अब यही हाल यूपी के देवरिया में भी देखने को मिल रहा है.
देवरिया के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी ने बताया कि डंस नामक मच्छर से यह वायरस तेजी से फैलता है. यह 80 किलोमीटर तक यात्रा कर सकता है और यदि नेपाल से कोई समान ट्रक से देवरिया आ रहा है, उसमें यह मच्छर आ गया तो यहां भी लंपी फैला सकता है. यदि हॉट ह्यूमिड मौसम हो, बादल हो तो ये मच्छर तेजी से फैलते हैं. उन्होंने बताया कि इसके अलावा इस पर नियंत्रण के लिए रैपिड रिस्पांस टीम का गठन किया गया है, जिसका जोनल मजिस्ट्रेट SDM और तहसीलदार को बनाया गया है. इसमें BDO को सेक्टर मजिस्ट्रेट और पशु चिकित्सक को नोडल नामित किया गया है. इसके अलावा जिला मुख्यालय पर कंट्रोल रूम की स्थापना की गई है, जिसका टेलीफोन नंबर सार्वजनिक किया गया है. इस पर पशुपालक लंपी वायरस से संबंधित सूचना दर्ज करा सकते हैं और परामर्श ले सकते हैं.
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गौरतलब है कि नेपाल से चले लंपी वायरस ने अब देवरिया जिले में दस्तक दे दी है. जनपद में सौ से ऊपर पशु लंपी वायरस से ग्रसित बताए जा रहे हैं. लेकिन पशुपालन विभाग 36 पशुओं के इस बीमारी से ग्रसित होने का दावा कर रहा है. लंपी वायरस का एक ऐसा ही मामला गौरी बाजार ब्लॉक के मठिया माफी से सामने आया जिसमें एक गाय की मौत हो गई है.
लंपी वायरस एक स्किन डिजीज बीमारी है, जो अधिकतर गोवंश में होती है. इसमें गांठें बनने लगती हैं. यह बीमारी LSD वायरस मक्खियों और मच्छरों और खून चूसने वाले डंस कीड़ों से फैलती है. इस बीमारी में कभी-कभार पशुओं की मौत भी हो जाती है. पशु चिकित्सकों की मानें तो इस वायरस का कोई टीका नहीं बना है, लेकिन इम्युनिटी बूस्टर के तौर पर गोवंश को गोट पाक्स लगाया जाता है. यह 70 से 75 प्रतिशत लंपी में असरदार होता है. जनपद में अब तक 30 हज़ार पशुओं को यह बूस्टर लगाया जा चुका है.
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