खेती और डेयरी सेक्टर में शीर्ष राज्यों में गिने जाने वाले मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने पशुपालकों के लिए खुशखबरी दी है. बीते दिनों रतलाम में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि साल 2028 तक वे मध्य प्रदेश को मिल्क कैपिटल बनाने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं. इसके अलावा पशुपालकों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए उन्होंने कहा कि अब डेयरी द्वारा भैंस के अलावा गायों का दूध भी खरीदा जाएगा. हालांकि मध्य प्रदेश को मिल्क कैपिटल बनाने के लिए कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ सकता है. आइए समझ लेते हैं.
मध्य प्रदेश में बड़े पैमाने में लोग खेती और पशुपालन से जुड़े हुए हैं. कई दलहन फसलों के उत्पादन में मध्य प्रदेश टॉप राज्यों में शामिल है. वहीं डेयरी सेक्टर में भी राज्य अच्छा काम कर रहा है. हालांकि दूध उत्पादन के मामले में मध्य प्रदेश अभी तीसरे स्थान पर है. एमपी से आगे उत्तर प्रदेश और राजस्थान का नाम है. साल 2023-24 के आंकड़ों के अनुसार कुल 24 करोड़ टन दूध उत्पादन में यूपी की हिस्सेदारी 16.21 फीसदी से अधिक और राजस्थान की हिस्सेदारी 14.51 फीसदी के आसपास थी. वहीं कुल दूध उत्पादन में मध्य प्रदेश की हिस्सेदारी 8.91 फीसदी के आसपास थी.
राज्य को मिल्क कैपिटल बनाने के लिए डेयरी फार्मिंग करने वालों को सरकारी संस्थाओं का सहयोग मिलना चाहिए. इसके अलावा सही बाजार मिलना भी बहुत जरूरी है. मध्य प्रदेश में अभी भी डेयरी बिजनेस करने वाले लोगों के सामने बाजार एक बड़ी चुनौती बनी है.
मध्य प्रदेश में डेयरी फार्मर्स के सामने सबसे बड़ी चुनौती दूध खरीदी को लेकर है. राज्य में डेयरी या दुग्ध संस्थाओं द्वारा मात्र 17 फीसदी गांवों में ही दूध खरीदी की व्यवस्था है. 83 फीसदी पशुपालक क्षेत्रीय बाजार या घूम-घूम कर ही दूध बेचते हैं जिसके कारण कई बार अच्छी कीमतें भी नहीं मिल पाती हैं.
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मध्य प्रदेश में दूध खरीदने के बाद प्रोसेसिंग और स्टोरेज की कमी भी डेयरी फार्मिंग करने वालों को प्रभावित करती है. प्रदेश की सबसे बड़ी डेयरी कॉपेरेटिव सांची दूध को फैट या पाउडर में बदल कर स्टोर करती है, जिससे कई बार उसे घाटा भी उठाना पड़ जाता है. राज्य में भंडारण की उचित व्यवस्था करने की जरूरत है.
मध्य प्रदेश दूध उत्पादन के मामले में भले ही उत्तर प्रदेश और राजस्थान के बाद तीसरे स्थान पर है, लेकिन उत्पादन के प्रतिशत में बड़ा गैप है. ऊपर से प्रतिस्पर्धी राज्य यूपी और राजस्थान में भी डेयरी फार्मर्स को बढ़ावा देने के भी निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं. ऐसे में मध्य प्रदेश को बड़ी तैयारियों की जरूरत है.
पशुपालन के क्षेत्र में एमपी काफी आगे है. यहां दूध की भी कोई कमी नहीं है लेकिन वर्तमान में मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी जरूरत प्रोसेसिंग यूनिट है. प्रोसेसिंग यूनिट बनाने से एक तो दूध को पाउडर में ना बदल कर अन्य डेयरी उत्पादक बनाए जा सकते हैं बल्कि इससे बहुत बड़ा रोजगार भी जनरेट होता है. आपको बता दें कि एक लाख लीटर दूध प्रोसेस होता है तो करीब 6 हजार लोगों (01 हजार शहरी और 05 हजार ग्रामीणों को) को रोजगार मिलता है.
पिछले कुछ सालों से मध्य प्रदेश डेयरी सेक्टर में अच्छा काम कर रहा है. जैसा कि सीएम मोहन यादव ने कहा कि उन्होंने साल 2028 तक प्रदेश को मिल्क कैपिटल बनाने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं. इसके लिए मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी डेयरी कॉपेरेटिव सांची ने NDDB (नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड) के साथ टाइ-अप किया है, जिससे डेयरी के क्षेत्र में बड़ा बदलाव आने की संभावना बन रही है. इसके अलावा मोहन यादव ने बताया कि अब डेयरी द्वारा भैंसों के साथ-साथ गायों का भी दूध खरीदा जाएगा और पशुपालकों को अच्छी कीमत दी जाएगी.