Green Fodder Silage मौसम कोई भी हो, लेकिन पशुओं को सुबह-शाम हरे चारे की जरूरत होती है. गर्मियों में जहां हरे चारे की कमी हो जाती है तो बरसात और सर्दियों में हरा चारा सीधे खाने लायक नहीं रहता है. क्योंकि इन दिनों होने वाले हरे चारे में नमी की मात्रा बढ़ जाती है. ऐसे में पहले से तैयार या फिर नया उत्पादन कर साइलेज और हे बेचा जा सकता है. साइलेज और हे बेचकर जहां मोटी कमाई की जा सकती है, वहीं हरे चारे का भी ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल किया जा सकता है. सरकारी आंकड़ों पर जाएं तो हरा-सूखा चारा हो या मिनरल मिक्चर सभी में लगातार कमी देखी जा रही है.
चारे की कमी का ये आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है. इसी के चलते ही बाजार में साइलेज और हे की डिमांड बढ़ने लगी है. साइलेज-हे से मुनाफा कमाने के लिए जब हरा चारा ज्यादा होता है तो उसका साइलेज और हे बनाकर स्टॉक कर लिया जाता है. अक्टूबर से लेकर फरवरी तक हरे चारे की कटाई चलती रहती है. ऐसे में आसानी से हे और साइलेज तैयार किया जा सकता है. फोडर एक्सपर्ट के मुताबिक किसान और पशुपालक साइलेज और हे की एक छोटी सी ट्रेनिंग के बाद अपने पशुओं को पूरे साल सस्ता हरा चारा खिलाने के साथ ही उसकी बिक्री भी कर सकते हैं.
फोडर एक्सपर्ट डॉ. एनपी सिंह का कहना है कि बेशक हम साइलेज और हे घर पर तैयार कर सकते हैं, लेकिन उसके लिए बहुत सावधानी बरतने की जरूरत है. इसलिए बिना किसी एक्सपर्ट की सलाह और ट्रेनिंग के तैयार किए गए साइलेज-हे पशुओं को खिलाने की कोशिश ना करें. साइलेज बनाने के लिए सबसे पहले उस हरे चारे की कटाई सुबह के वक्त करें जिसका हम साइलेज बनाने जा रहे हैं. ऐसा करने से हमे दिन का वक्त उस चारे को सुखाने के लिए मिल जाएगा.
क्योंकि साइलेज बनाने से पहले चारे के पत्तों को सुखाना जरूरी है. चारे को कभी भी जमीन पर सीधे ना सुखाएं. लोहे का कोई स्टैंड या जाली पर रखकर सुखाएं. चारे के छोटे-छोटे गठ्ठर बनाकर लटका कर भी चारे को सुखाया जा सकता है. क्योंकि जमीन पर चारा डालने से उसमे फंगस लगने के चांस ज्यादा रहते हैं. कुल मिलाकर करना ये है कि जब चारे में 15 से 18 फीसद नमी रह जाए तभी उसे साइलेज की प्रक्रिया में शामिल करें. और एक बात का खास ख्याल रखें कि किसी भी हाल में पशुओं को फंगस लगा चारा खाने में ना दें.
डॉ. एनपी सिंह का कहना है कि साइलेज बनाने के लिए फसल का चुनाव करना भी बेहद जरूरी है. क्योंकि साइलेज बनाने के दौरान सबसे बड़ी कोशिश यही होनी चाहिए कि चारे में फंगस नहीं लगे. इसके लिए करना ये चाहिए कि साइलेज बनाने के लिए हमेशा पतले तने वाली चारे की फसल का चुनाव करें. फसल को पकने से पहले ही काट लें. फसल के तने को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें. उसके बाद उन्हें ऊपर बताए गए तरीके के मुताबिक सुखा लें. पतले तने वाली फसल का चुनाव करने से फायदा ये होता है कि वो जल्दी सूख जाती है. तने में नमी का पता इस तरह से भी लगाया जा सकता है कि तने को हाथ से तोड़कर देख लें.
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