Biosecurity in Goat-Sheep Farm बायो सिक्योरिटी का पालन पशुओं यानि भेड़-बकरियों को बीमारियों से बचाने के लिए किया जाता है. खासतौर पर वो बीमारियां जो संक्रमण फैलने से होती हैं. संक्रमण को एक जगह से दूसरी जगह फैलने से रोकने के लिए ही बायो सिक्योरिटी का इस्तेमाल किया जाता है. इससे जहां पशु बीमारियों से बचते हैं तो उत्पादन भी कम नहीं होता है और उत्पादन की लागत भी नहीं बढ़ती है. सबसे खास बात ये है कि पशुओं के शेड में बायो सिक्योरिटी का पालन करने से पशुपालक, पशुपालक का परिवार और शेड में काम करने वाला स्टाफ जूनोटिक बीमारियों से दूर रहता है. जूनोटिक बीमारी उन्हें कहते हैं जो पशुओं से इंसानों को होती हैं. कोरोना, इबोला ऐसी ही बीमारियां हैं जो पशु-पक्षियों से इंसानों में आईं थी.
अगर कोई व्यक्ति बाहर से फार्म में आ रहा है तो उसके शूज बाहर ही उतरवाएं या फिर उन्हें सेनेटाइज करें. हाथ और उसके कपड़ों को भी सेनेटाइज कराएं. मुमिकन हो तो पीपीई किट पहनाकर ही फार्म के अंदर ले जाएं. जब भी फार्म पर कोई नया पशु-पक्षी आए तो उसे कम से कम 15 दिन के लिए अपने पशुओं से अलग कमरे या जगह पर रखें. मौसम के हिसाब से फार्म का रखरखाव करें. खासतौर से बरसात के मौसम में जब मच्छर-मक्खियों का प्रकोप ज्यादा होता है.
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