Milk Production and Profit दुधारू पशुओं की संख्या के मामले में भारत नंबर एक है. इतना ही नहीं दूध उत्पादन में नंबर वन है. लेकिन इसके बाद भी न तो प्रति पशु दूध उत्पादन बढ़ रहा है और न ही पशुपालकों का मुनाफा बढ़ रहा है. प्रति पशु दूध उत्पादन की कमी को देखते हुए ही नेशनल डेयरी डवलपमेंट बोर्ड (NDDB) का कहना है कि ये कोई मुश्किल काम नहीं है. बस जरूरत इस बात की है कि पशुपालक साइंटीफिक तरीके से ही पशुपालन करें. साथ ही NDDB समेत दूसरे संस्थानों के बताए सुझावों पर अमल करते हुए पशुपालन करें.
इस तरह से प्रति पशु दूध उत्पादन तो बढ़ेगा ही साथ ही पशुपालकों की इनकम भी बढ़ेगी. गौरतलब रहे हाल ही में पशुओं के चारे से संबंधित एक कार्यक्रम में NDDB के एक्सपर्ट ने पशुपालकों का मुनाफा बढ़ाने के संबंध में कहा था कि पशुपालकों को दुधारू जानवर, बछिया, सूखे जानवर और उनकी उम्र के हिसाब से उनकी खुराक खाने में दें.
NDDB से जुड़े एक्सपर्ट का कहना है कि फायदेमंद डेयरी के लिए किसानों को हाई जेनेटिक क्वालिटी वाले बैल का वीर्य प्रजनन के लिए इस्तेमाल करना चाहिए. साथ ही नहीं पशुओं के लिए वैज्ञानिक आधार पर तय किए गए मानकों के अनुसार फीड-फोडर खुराक के तौर पर देना चाहिए. देखभाल के तौर-तरीकों को भी इसी आधार पर अपनाना चाहिए. दूसरी खास बात ये है कि इलाज से बेहतर रोकथाम है, इस बात का हर पशुपालक को पालन करना चाहिए. और सबसे बड़ी बात ये कि पशुओं का वैक्सीनेशन वक्त से कराना चाहिए. इससे पशु का विकास भी होता है और उसकी उम्र भी बढ़ती है. वहीं समय से पशुओं को पेट के कीड़े वाली दवा खिलाने से बड़े नुकसान को टाला जा सकता है.
एक्सपर्ट का कहना है कि बछड़ा पालन पर ध्यान देना बहुत जरूरी है. क्योंकि सभी तरह के पशुपालन में पशु का बच्चा एक बड़ा मुनाफा होता है. इसलिए बछड़े की देखभाल बहुत जरूरी है. इसके साथ ही उन्होंने पशुपालन क्षेत्र में डिजिटलीकरण के फायदों पर भी चर्चा की. डिजिटलीकरण के तहत गाय पालन में काऊ बैल्ट का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई. इसके बारे में बताया कि ऐसा करने से हम बहुत सारी बीमारियों के बारे में वक्त रहते पता चल जाता है. जिससे बीमारी पर होने वाला खर्च तो बचता ही है, साथ ही पशु भी परेशानी से दूर रहता है और उसके उत्पादन पर किसी भी तरह का कोई असर नहीं पड़ता है.
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