Green Fodder देश में हरे और सूखे चारे की बेहद कमी है. कम होने की बजाए चारे की ये कमी बढ़ रही है. ऐसे में पशुपालकों के लिए एक अच्छी खबर ये है कि एक ऐसा हरा चारा तैयार हो रहा है जो उनकी तकदीर बदल देगा. देश के चार राज्यों में इस हरे चारे की खास किस्म तैयार हो रही है. हरे चारे की इस खास किस्म को तैयार करने वाले साइंटिस्ट का दावा है कि ये एक ऐसा हरा चारा है जिसे खाकर पशु का शारीरिक विकास भी होगा और पशु ज्यादा से ज्यादा दूध भी देगा.
क्योंकि पशुपालक गाय-भैंस का हो या फिर भेड़-बकरी का, एक परेशानी सभी की एक जैसी ही है. और वो है हरा चारा. पशुपालकों को ऐसे हरे चारे की खासतौर पर जरूरत है जो साल के 12 महीने मिले. पशुपालकों की इसी परेशानी को दूर करने की कोशिश की है चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू), हिसार ने.
फोडर एक्सपर्ट का कहना है कि जई की नई उन्नत किस्म एचएफओ 906 किस्म में प्रोटीन की मात्रा और पाचनशीलता अधिक होने के कारण ये पशुओं के लिए बहुत अच्छा हरा चारा है. देश में 11.24 फीसद हरे और 23.4 फीसद सूखे चारे की कमी को देखते हुए ही जई की इस नई किस्म को तैयार किया गया है. क्योंकि चारे की कमी के चलते पशुओं की उत्पादकता कम हो रही है. जई चारे की अधिक गुणवत्तापूर्ण और ज्यादा पैदावार देने वाली किस्में विकसित होने से पशुपालकों को इसका बड़ा फायदा होगा और पशुओं की उत्पादकता भी बढ़ेगी. साथ ही एचएफओ 906 किस्म राष्ट्रीय स्तर की चैक किस्म कैंट और ओएस (6) 14 फीसद तक ज्यादा हरे चारे की पैदावार देती है. जई की एचएफओ 906 एक कटाई वाली किस्म है.
एक्सपर्ट का कहना है कि जई की एचएफओ 906 किस्म को देश के उत्तर-पश्चिमी जोन (हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उतराखंड) के लिए समय पर बिजाई हेतु खासतौर पर अनुमोदित की गई है. उनका कहना है कि एचएयू द्वारा विकसित की गई फसलों की किस्मों का न केवल हरियाणा बल्कि देश के अन्य राज्यों के किसानों को भी खूब फायदा मिल रहा है. चारे की विकसित किस्मों की मांग दूसरे प्रदेशों में भी लगातार बढ़ती जा रही है. यह हमारे एचएयू और हरियाणा के लिए गर्व की बात है. उन्होंने इस उपलब्धि के लिए चारा अनुभाग के वैज्ञानिकों को बधाई दी और भविष्य में भी अपने प्रयास जारी रखने का आह्वान किया.
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