Lumpy Skin Disease पशुओं में फैलने वाली बीमारी के एक नहीं कई तरह के नुकसान होते हैं. एक तो पशु हो या पक्षी उसके बीमार पड़ते ही लागत बढ़ जात है. दूसरा उत्पादन कम हो जाता है. और तीसरा सबसे बड़ा नुकसान ये कि पशुपालकों को जूनोटिक बीमारियों का खतरा बना रहता है. लंपी, स्वाइन फ्लू और बर्ड फ्लू कुछ ऐसी ही बीमारियां हैं जिनसे इंसानों को भी होने का खतरा बना रहता है. ये वो बीमारी हैं जो किसी भी पशुपालक के डेयरी और पोल्ट्री फार्म पर ताला लगवा देती हैं. बर्ड फ्लू की वजह से तो हजारों-लाखों मुर्गियां एक साथ दम तोड़ देती हैं.
मौजूदा वक्त में गायों में फैल रही लंपी बीमारी भी पोल्ट्री की तरह से लाखों-करोड़ों का नुकसान कर देती है. लंपी के चलते ही गाय तड़फ-तड़फ कर दम तोड़ रही हैं. लंपी जैसी बीमारियों पर काबू पाने के लिए नेशनल वन हैल्थ मिशन (NOHM) शुरू किया गया है. एनिमल एक्सपर्ट के मुताबिक आज 70 फीसद बीमारियां ऐसी हैं जो पशु-पक्षियों से इंसानों में होती हैं.
नेशनल वन हैल्थ मिशन के तहत लंपी-बर्ड फ्लू जैसी बीमारियों से निपटने के लिए एक प्लान तैयार किया गया है. जानकारों की मानें तो प्लान के तहत तीन लेवल पर सात बड़े काम किए जाएंगे. वर्ल्ड बैंक और एशियन डवलपमेंट बैंक भी ऐसी बीमारियों से निपटने में भारत की मदद कर रहे हैं. केन्द्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय (डीएएचडी) देश में NOHM का संचालन कर रहा है. लंपी जैसी खतरनाक और जानलेवा बीमारी पर काबू पाने के लिए NOHM शुरू किया गया है. इस मिशन में लंपी समेत और भी कई तरह की बीमारियों को शामिल किया गया है. मिशन के तहत इन बीमारियों पर कंट्रोल पाने के लिए तीन लेवल पर काम किया जाएगा.
एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो कोविड, स्वाइन फ्लू, एशियन फ्लू, इबोला, जीका वायरस, एवियन इंफ्लूंजा समेत और भी न जानें ऐसी कितनी महामारी हैं जो पशु-पक्षियों से इंसानों में आई हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक 17 लाख वायरस जंगल में फैले होते हैं. इसमे से बहुत सारे ऐसे हैं जो जूनोटिक हैं. जूनोटिक वो होते हैं जो पशु-पक्षियों से इंसान में फैलते हैं. जूनोटिक के ही दुनिया में हर साल 100 करोड़ केस सामने आते हैं और इससे 10 लाख की मौत हो जाती हैं. अब वर्ल्ड लेवल पर इस पर काबू पाने की कवायद शुरू हो गई है.
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