ज्यादातर मामलों में ऐसा देखने में आता है कि बच्चा देने के बाद भैंस का वजन लगातार घटता रहता है. और खास बात ये है कि यही वो वक्त होता है जब भैंस दूध भी दे रही होती है. तो वजन घटने का सीधा असर उसके दूध उत्पा दन और उसकी क्वालिटी पर पड़ता है. लेकिन कई बार पशुपालक इसे बच्चा देने से जोड़कर ये मान लेते हैं कि कुछ दिन तो ऐसा होता ही है. लेकिन एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो इस तरह अनदेखी करने से भैंस में कई तरह की बीमारियां पनप सकती हैं.
और इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह है भैंस को जरूरत के हिसाब से खुराक ना मिलना. जब भैंस को गर्भकाल के दौरान और उसके बाद जरूरत के हिसाब से हरा-सूखा चारा और मिनरल मिक्चर नहीं मिलता है तो उसका वजन घटने लगता है. बफैलो एक्सपर्ट का कहना है कि गाभिन भैंस को एक्सट्रा राशन की जरूरत होती है. इसी को गर्भावस्था खुराक कहा जाता है.
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फीड एक्सपर्ट डॉ. संजय सिंह बताते हैं कि जो भैसें दूध नहीं देती, गाभिन नहीं है और बूढ़ी हो चली हैं उन्हें सिर्फ जीवन निर्वाह के लिए ही खुराक की जरूरत होती है. जबकि जिस भैंस ने पहली बार बच्चा दिया है या फिर गाभिन हो गर्इ है तो उसे सबसे ज्यादा चारे और मिनरल्स की जरूरत होती है. अगर ऐसी भैंसों को अच्छी खुराक नहीं दी जाए तो प्रजनन की सबसे ज्यादा परेशानी भी इन्हीं भैंसों में देखने को मिलती है. इसलिए जब भैंस गाभिन हो जाए तब से लेकर बच्चा देने के बाद तक भैंस को तीन तरह की खुराक खिलानी चाहिए. पहली जीवन निर्वाह के लिए, दूसरी उत्पादकता यानि बच्चा और दूध देने वाली भैंस के लिए और तीसरी खुराक है बढ़वार के लिए.
डॉ. संजय ने बताया कि जब बच्चा देने के बाद भैंस को उसकी जरूरत के हिसाब से खुराक नहीं मिलती है तो वो उसकी पूर्ति अपने अंदर से ही करती है. और जब भैंस ऐसा करती है तो उसकी कमजोरी बढ़ती चली जाती है और वो बीमार भी पड़ जाती है. जैसे शुरुआत में जब खुराक नहीं मिलती है तो भैंस अपने अन्दर मौजूद भंडारित ऊर्जा के स्रोत वसा को लेने लगती है. और जब वो खत्म हो जाता है तो अपने अंदर के प्रोटीन को इस्तेमाल करने लगती है.
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यहां गौर करने लायक बात ये है कि भैंस को प्रजनन के लिए एनर्जी तभी मिलती है जब उसे ऊपर बताई गईं तीन तरह की खुराक दी जाए. इसके लिए ध्यान देने वाली बात ये है कि गाभिन भैंस को चारे की क्वालिटी और गर्भाधान के दिन के आधार पर आठवें महीने से एक से दो किलो तक दाना मिक्सचर जरूर खिलाया जाना चाहिए. साथ में हरा चारा भी खिलाते रहना चाहिए. अगर हरे चारे की कमी है तो 10 किलो हरे चारे की जगह पर एक किलो मिनरल मिक्चर बढ़ाया जा सकता है.