Animal Care: मई से सितम्बर तक गाय-भैंस के बाड़े में जरूर करें ये खास 15 काम, नहीं होंगी बीमार  

Animal Care: मई से सितम्बर तक गाय-भैंस के बाड़े में जरूर करें ये खास 15 काम, नहीं होंगी बीमार  

पशुपालक को होने वाले नुकसान की बात करें तो कम दूध देने की हालत में भी पशु चारा सामान्य दिनों के जितना ही खाता है. ऐसे में पशुपालक को पशु की बीमारी पर खर्च करने के साथ ही पूरी खुराक भी खिलानी होती है. जबकि दूध उत्पादन न के बराबर रह जाता है. 

गाय की देसी नस्लगाय की देसी नस्ल
नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • Apr 29, 2025,
  • Updated Apr 29, 2025, 2:06 PM IST

मई से लेकर सितम्बर तक का वक्त पशुपालन के लिए बहुत अहम हो जाता है. ये वो मौसम है जब गाय-भैंस को और ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है. क्योंकि इस दौरान कई बड़ी और गंभीर बीमारियां भी गाय-भैंस पर अटैक करती हैं. मई-जून के दौरान तो दूध उत्पादन घटने की परेशानी से भी जूझना पड़ता है. जैसे ही तापमान बढ़ता है तो पशु हीट स्ट्रेस में आ जाते हैं और हीट स्ट्रोक का शि‍कार भी हो जाते हैं. क्योंकि यही वो दोनों बड़ी वजह हैं जिसके चलते गाय-भैंस का दूध उत्पादन घट जाता है.

एनिमल एक्सपर्ट खासतौर पर गर्मियों की दोपहर के वक्त पशुओं को बहुत ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है. इस दौरान बरती गई जरा सी भी लापरवाही पशु की जान भी ले सकती है. एक्सपर्ट ये सलाह भी देते हैं कि बदलते मौसम के हिसाब से पशुओं के शेड में बदलाव करना चाहिए. पीने के पानी और चारे में भी मौसम के हिसाब से बदलाव करना होता है. इतना ही नहीं पशु को शेड से कब बाहर ले जाना है या फिर कब से कब तक शेड में ही रखना इसका पालन भी एनिमल एक्सपर्ट के मुताबिक ही करना चाहिए.  

मई से सितम्बर तक इन बातों का रखें ख्याल 

  • पशु को दोपहर के वक्ते सीधे तौर पर तेज धूप से बचाएं. 
  • खुरपका-मुंहपका रोग से बचाव के लिए टीके लगवाएं.
  • डॉक्टर की सलाह पर पशु पेट के कीड़ों की दवाई खिलाएं.
  • गेहूं के भूसे की पौष्टिकता बढ़ाने के लिए उसमे यूरिया मिलाएं. 
  • पशु का दूध निकालने के बाद पशु के थन कीटाणु नाशक घोल में डुबोकर साफ करें.
  • दुधारू पशुओं को थैनेला रोग से बचाने के लिए डाक्टर की सलाह लें. 
  • सुबह-शाम गर्भवती और बीमार पशु को टहलाने ले जाएं.
  • पशुओं को साफ और ताजा पानी पिलाएं, ठंडा पानी ना दें.
  • सुबह-शाम को पशु को ताजा पानी से नहला दें. 
  • पशुओं का बाड़ा हवादार होना चाहिए.
  • बाड़े में रेत-मिट्टी का कच्चा फर्श हो. 
  • बाड़े में सीलन नहीं होनी चाहिए. 
  • पशुओं को अफरा होने पर 500 ग्राम सरसों तेल के साथ 50 ग्राम तारपीन का तेल दें.
  • पशु की सेहत और दूध बढ़ाने के लिए 50-60 ग्राम मिनरल मिक्चर दें. 
  • हरे चारे की कमी दूर करने को  ज्वार, मक्का, लोबिया की बुआई करें.

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