Ghee Export: एक्सपोर्ट बढ़ाने के लिए घी को बनाना होगा डेयरी की पहचान, जानें क्यों कही ये बात 

Ghee Export: एक्सपोर्ट बढ़ाने के लिए घी को बनाना होगा डेयरी की पहचान, जानें क्यों कही ये बात 

Dairy Export भारत दूध उत्पादन में विश्व में पहले नंबर पर हैं. संयुक्त अरब अमीरात भारत से घी खरीदने वालों में पहले नंबर पर है. भारत से करीब तीन करोड़ डॉलर से ज्यादा का घी एक्सपोर्ट होता है. इसी को और ज्यादा बढ़ाने की चर्चा हो रही है. वहीं घी को डेयरी की पहचान बनाने के सुझाव भी दिए जा रहे हैं. 

घीघी
नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • Jun 09, 2025,
  • Updated Jun 09, 2025, 12:55 PM IST

Dairy Export ‘दुनिया के ज्यादातर देशों में कोई न कोई एक फूड आइटम उनकी पहचान है. जैसे इटली की बात करें तो ऑलिव आयल का नाम आता है. वहीं अगर बात स्विट्जरलैंड की होती है तो बिना चॉकलेट का जिक्र आए बात अधूरी रह जाती है. इसीलिए ये बहुत जरूरी है कि भारत में अगर डेयरी एक्सपोर्ट के आंकड़े को बढ़ाना है तो हमे घी को पहचान बनाना होगा. घी की बात इसलिए की जा रही है कि देश ही नहीं विदेशों में भी भारतीय घी पसंद किया जाता है. और दूसरी बात ये कि हमारे देश में घी एक आयुर्वेद प्रोडक्ट है. ’ ये कहना है इंडियन डेयरी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट और अमूल के पूर्व एमडी आरएस सोढ़ी का.

साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि घी से सिर्फ ताकत ही नहीं आती है, बल्किी घी से हमारी स्किंन अच्छी होती है और दिमाग भी अच्छा होता है. लेकिन यही बात हम दूसरे देशों को बताने के मामले में पीछे हैं. हर एक देश अपने एक खास फूड प्रोडक्ट का प्रचार कर रहा है, लेकिन हम दवाई होने पर भी घी का प्रचार नहीं कर रहे हैं. अगर हम बड़े स्तर पर घी का प्रचार कर सके तो विदेशों में घी की और ज्यादा डिमांड बढ़ जाएगी. 

घी के लिए करना होगा ये जरूरी काम 

डॉ. आरएस सोढ़ी ने एक बड़े खतरे की तरफ इशारा करते हुए कहा कि आज हमे ग्राहकों को ऐसे आइटम से जागरुक करने की जरूरत है जिनके बारे में दावा किया जाता है कि वो प्लांट बेस्ड हैं. असल में चार-पांच फीसद ही ये प्लांट बेस्ड होते हैं, बाकी तो कैमिकल से तैयार किए जाते हैं. अगर प्लांट बेस्ड आइटम की असलियत के बारे में हम ग्राहकों को समझाने में कामयाब हो गए तो घरेलू बाजार में भी डेयरी प्रोडक्ट की खपत बढ़ जाएगी.

ऐसे तैयार होगा घी का बाजार 

आरएस सोढ़ी ने बताया कि एक बार फिर से दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए मिल्क रेव्युलेशन की तरह से काम करना होगा. शुरू करना होगा. इसके तहत पहले तो दूध का उत्पादन बढ़ाना होगा. फिर प्रोसेसिंग प्लांट को आधुनिक बनाने के साथ उनकी संख्या बढ़ानी होगी. एक्सपोर्ट और घरेलू दोनों स्तर के बाजार का दायरा बढ़ाना होगा. उसके लिए हमे घी पर काम करने की जरूरत है. वहीं सरकार को चाहिए कि वो कोऑपरेटिव, डेयरी वैल्यू चेन और इंफ्रास्ट्रक्चर में बड़ा इंवेस्ट करे. 

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