Calf Birth Care एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो गाय-भैंस जब बच्चा देने वाली होती है तो कुछ लक्षण दिखाई देने लगते हैं. जब गाय-भैंस ये लक्षण दिखाने लगे तो पशुपालक को तैयारी शुरू कर देनी चाहिए. क्योंकि जन्म के समय हुई छोटी सी लापरवाही भी बच्चे पर भारी पड़ती है और उसकी मौत तक हो जाती है. एनिमल साइंस से जुड़े साइंटिस्ट का पूरा जोर इस बात पर रहता है कि पशुपालन में बच्चों की मृत्यु दर कम से कम हो. क्योंकि रिप्रोडक्शन (प्रजनन) और दूध उत्पादन से ही पशुपालक को मुनाफा होता है. गाय-भैंस हो या फिर भेड़-बकरी रिप्रोडक्शन से ही इनका कुनबा बढ़ता है.
इनकी संख्या बढ़ने पर पशुपालक इन्हें बेचकर या फिर इन्हें दूध के लिए तैयार कर मुनाफा कमाते हैं. लेकिन ये तभी मुमकिन होगा जब पैदा होने वाले बच्चे की खास देखभाल करेंगे. इसलिए कहा जाता है कि जब भैंस बच्चा दे तो जन्म के पहले घंटे से ही बच्चे की देखभाल शुरू कर देनी चाहिए. बच्चे के लिए जन्म से लेकर आने वाले 20 दिन बहुत खास होते हैं.
जन्म लेते ही बच्चे को इसलिए रखें भैंस के सामने
- जन्म के बाद बच्चे को ज्यादा से ज्यादा वक्त भैंस के सामने रखें.
- बच्चा सामने हो तो भैंस उसे चाटकर साफ करती है.
- बच्चे को चाटने से बच्चे की त्वचा जल्दी सूख जाती है.
- भैंस बच्चे को चाटती है तो इससे बच्चे का तापमान नहीं गिरता है.
- चाटने से बच्चे का शरीर साफ हो जाता है खून दौड़ने लगता है.
- बच्चे को चाटने से भैंस को सॉल्ट और प्रोटीन मिलता है.
बच्चे के पास जाने से पहले करें ये जरूरी काम
- भैंस अगर बच्चे को नहीं चाटे तो उसे साफ तौलिए से रगड़ कर साफ कर दें.
- जन्म के फौरन बाद बच्चे के ऊपर से जेर-झिल्ली हटा दें.
- बच्चे को सांस लेने में परेशानी हो तो उसकी छाती की मालिश कर दें.
- ठीक से सांस ना आने पर बच्चे की पिछली टांगें पकड़ कर उल्टा लटकाएं.
- नये ब्लेड या गर्म पानी में साफ की गई कैंची से बच्चे की नाल काट दें.
- जिस जगह से नाल काटी गई है वहां टिंचर आयोडीन लगा दें.
बच्चे को खीस पिलाने के लिए करें ये काम
- जन्म के एक-दो घंटे के अंदर बच्चे को भैंस की खीस जरूर पिलाएं.
- बच्चे को खीस पिलाने के लिए भैंस की जेर गिरने का इंतजार ना करें.
- वक्त रहते बच्चे को पिलाया गया खीस उसे बीमारियों से लड़ने में मदद करता है.
- बच्चे को उसके वजन का 10 फीसद दूध पिलाना चाहिए.
- बच्चे को सुबह-शाम दो बार में दूध पिलाना चाहिए.
- पहला दूध पीने के बाद बच्चे का दो घंटे के अंदर गोबर करना जरूरी है.
- मौसम के मुताबिक बच्चे को ज्यादा सर्दी-गर्मी से बचाने का इंतजाम करें.
- 10 दिन की उम्र पर बच्चे को पेट के कीड़ों की दवा जरूर पिला दें.
- पेट के कीड़ों की दूसरी खुराक बच्चे को 21 दिन की उम्र पर पिलाएं.
निष्कर्ष-
एनिमल एक्सपर्ट के मुताबिक हेल्दी बच्चा होगा तो बड़े होकर मुनाफा कराएगा. नहीं तो जरा सी लापरवाही के चलते गाय-भैंस के बच्चों की जन्म के साथ ही मौत भी हो जाती है. अगर बच्चे के पैदा होते ही कुछ बातों का ख्याल रखा जाए तो उन्हें शुरू से ही मुनाफा देने वाला बनाया जा सकता है.
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