Fish Care in Winter मछली जल की रानी है और जीवन उसका पानी है. ये सिर्फ कविताओं में ही नहीं हकीकत में भी सौ फीसद सच है. तालाब में पानी जरूरत के मुताबिक रखा गया है. पानी साफ और स्वच्छ है तो मछलियां भी हेल्दी रहेंगी और जल्दी-जल्दी उनकी ग्रोथ बढ़ेगी. अब कुछ दिन बाद मौसम बदल जाएगा. गर्मी से ठंड का मौसम आ जाएगा. मौसम का असर तालाब में पलने वाली मछलियों पर भी पड़ता है. क्योंकि, बेशक मछलियां 24 घंटे पानी में रहती हैं, बावजूद इसके मछलियां ज्यादा ठंडे पानी में बीमार हो जाती हैं.
इसलिए बदलते मौसम के साथ ये जरूरी है कि पानी के तापमान में बदलाव होते ही ट्रीटमेंट करना शुरू कर दें. वहीं जरूरत पड़ने पर तालाब में पानी की मात्रा को भी बढ़ा दें. फिशरीज एक्सपर्ट के मुताबिक मछली ठंडे खून वाला जीव है इसलिए उसे सर्दियों के मौसम में खास देखभाल की जरूरत होती है. ठंड के मौसम में सुबह-शाम पानी का तापमान चेक करते रहना चाहिए. आक्सीजन की मात्रा को भी कम न होने दें.
डीन डॉ. मीरा का कहना है कि सर्दियों के दौरान किसानों को तालाब के पानी की गहराई छह फीट तक रखनी चाहिए. जिससे मछलियों को गर्म वातावरण में रहने के लिए ज्यादा जगह मिल सकेगी. इतना ही नहीं तालाब के नीचे के हिस्सेम और सतह के पानी को गर्म रखने के लिए शाम के समय ट्यूबवेल का पानी तालाब में जरूरत मिलाएं. खासकर जब तालाब के पानी का तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से नीचे हो. और एक खास बात ये कि अगर तालाब के आसपास पेड़ हों तो सर्दियों के दौरान उन्हें काट दें. ऐसा इसलिए किया जाता है जिससे सीधी धूप तालाब पर पड़ सके और पत्तियां भी तालाब में न गिरें. पत्तीस गिरने से पानी की गुणवत्ता खराब हो सकती है.
डॉ. मीरा ने बताया कि सर्दियों के दिन एक तो छोटे होते हैं और ऊपर से उस दौरान सूरज की रोशनी भी इतनी नहीं आती है जितनी गर्मियों में आती है. यही वजह है कि खराब रोशनी की वजह से तालाब के पानी में आक्सीजन की मात्रा कम होने लगती है. लगातार बादल छाए रहने से तो हालात और भी खराब हो जाती है. इसलिए ऐसे वक्त में मछली पालकों का काम थोड़ा बढ़ जाता है. ऐसे में तालाब में आक्सीजन की मात्रा बढ़ाने के लिए पम्प का ताजा पानी तालाब में मिला दें या फिर तालाब में एरेटर का इस्तेमाल करें. सुबह के वक्त एरेटर का इस्तेपमाल जरूर करें. सर्दियों में लगातार बादल छाए रहने के दौरान पानी में पीएच की स्तर की भी नियमित निगरानी करनी चाहिए. अगर तालाब के पानी का पीएच 7.0 से नीचे चला जाए तो फौरन ही दो किश्तों में 100 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से तालाब में चूना डाल दें.
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