
Plan for Fishermen ‘महाराष्ट्र के गांवों की हालत सुधरने के पीछे वहां गन्ना और शुगर मिल का बड़ा हाथ है. ठीक इसी तरह से गुजरात में बड़ी संख्या में महिलाओं की दशा दूध की वजह से सुधरी है. आज दोनों ही जगह महिलाएं हर तरह से सशक्त हैं. आज वहां पढ़ी-लिखी से लेकर अनपढ़ महिला तक के बैंक खाते में सीधा मुनाफा पहुंच रहा है.’ ये कहना है केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह का. मझगांव डॉक, मुंबई में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMSSY) के तहत आयोजित एक बड़े कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने ये बात कही.
साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि पीएम नरेन्द्र मोदी ने मछली पालन के लिए दर्जनों कार्यक्रम शुरु किए है और जिनके अच्छे रिजल्ट आये हैं और लगातार आ रहे हैं. इसी को देखते हुए मोदी सरकार एक ऐसा तंत्र बनाने जा रही है जो डेयरी, चीनी मिलों और बाजार समितियों की तरह मछुआरों के लिए काम करेगा और उनकी आर्थिक स्थिति सुधारने का कारण भी बनेगा.
अमित शाह ने कार्यक्रम के दौरान जानकारी देते हुए बताया कि 2014-15 में भारत का कुल मछली उत्पादन 102 लाख टन था जो आज बढ़कर 195 लाख टन तक पहुंच गया है. इसमे घरेलू उत्पादन यानि तालाब में मछली पालन 67 लाख टन था जो अब बढ़कर 147 लाख टन हो गया है. अगर मरीन उत्पादन यानि समुद्र में पकड़ी जाने वाली मछलियों की बात करें तो 35 लाख टन से बढ़कर उत्पादन 48 लाख टन पर पहुंच गया है. उन्होंने कहा कि करीब 11 हजार किलोमीटर लंबी हमारी कोस्टलाइन मैरीटाइम उत्पादन बढ़ाने की संभावना से भरी पड़ी है. सहकारिता मंत्रालय ने उसका दोहन कर कोऑपरेटिव के आधार पर मुनाफा हमारे मछुआरे तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए हमारी सरकार एक ऐसा सिस्टम बनाने की ओर काम कर रही है जो डेयरी, चीनी मिलों और बाजार समितियों की तरह मछुआरों के लिए काम करेगा और उनकी आर्थिक दशा को सुधारने का काम करेगा.
अमित शाह ने कहा कि महाराष्ट्र के गांवों की तकदीर बदलने में महाराष्ट्र की गन्ना मिलों का सबसे बड़ा योगदान है. शुगर मिल का पूरा मुनाफा किसान के बैंक अकाउंट में जाता है. इसी तरह से गुजरात में आज कई लाख महिलाएं 80 हजार करोड़ का व्यपार अमूल के माध्यम से करती हैं. ये 80 हजार करोड़ का पूरा मुनाफा बिना पढ़ी-लिखी पशुपालन करने वाली महिलाओं के घर में जाता है. और अब तो पढ़ी-लिखी महिलाएं और बहनें भी प्रोफेशनल तरीके से पशुपालन के व्यवसाय में आगे आ रही हैं. यही विचार हमारे पुरखों का था और यही विचार भारत का मूल विचार है. क्योंकि देश समृद्ध सहीं मायने में तभी होता है जब हर परिवार में बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके, अच्छा संतुलित आहार मिले, परिवार के बूढ़े और बच्चों के अरोग्य की चिंता हो और वो आत्मनिर्भर बनें तभी देश संपन्न हो सकता है.
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