
Green Fodder and Water डिहाइड्रेशन जैसी बड़ी परेशानियां पशुओं के लिए हमेशा से जानलेवा रही हैं. एनिमल एक्सपर्ट के मुताबिक गर्मियां ही नहीं सर्दियों में भी पशुओं को डिहाइड्रेशन जैसी परेशानी होने लगती है. पशुपालन में हर एक पशु को कितना पानी दिनभर में पिलाना है इसके मानक तय हैं. लेकिन खासतौर पर सर्दियों में अलर्ट रहने की जरूरत होती है. क्योंकि ज्यादा पानी भी पशुओं के लिए परेशानी खड़ी कर सकता है. और पशुओं में पानी की ये मात्रा बढ़ती है हरे चारे से. होता ये है कि एक ओर तो मानकों के मुताबिक पशुओं को पीने के लिए ताजा पानी दिया जाता है. दूसरी ओर जरूरत के मुताबिक हरा चारा भी खिलाया जाता है. और ताजा हरे चारे में भी पानी की खूब मात्रा होती है.
एनिमल एक्सपर्ट के मुताबिक एक किलो हरे चारे में औसत तीन से चार लीटर तक पानी होता है. अगर पशुओं को पानी पिलाने में कहीं कोताही होती भी है तो हरा चारा उसकी भरपाई कर देता है. लेकिन हरा चारा खिलाने में भी बहुत ऐहतियात बरतने की जरूरत होती है. अगर पानी के साथ हरा चारा थोड़ा सा भी ज्यादा हो गया तो पशुओं को पेट संबंधी अफरा जैसी बीमारी हो जाती हैं.
एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि दूध देने वाली गाय और भैंस के लिए पानी की खूब जरूरत होती है. क्योंकि पानी की कमी का असर दूध उत्पादन पर भी पड़ता है. गाय अगर दूध दे रही है तो दिनभर में उसे कम से कम 30 से 50 लीटर पानी पीने के लिए चाहिए. वहीं अगर भैंस दूध दे रही है तो उसे दिनभर में 40 से 70 लीटर पानी की जरूरत होती है. सर्दियों में जमीन से निकला सामान्य पानी पिलाना चाहिए. नल की सप्लाई वाला पानी है तो वो ताजा होना चाहिए. करना तो ये चाहिए साफ हौज या बर्तन में सामान्य तापमान वाला पानी पशु के सामने ही रख देना चाहिए, जिससे जब भी उसे प्यास लगे तो वो जरूरत के हिसाब से पी ले.
चारा और भोजन पाचने में मददगार होता है.
शरीर के अलग-अलग जरूरतमंद हिस्सों की पूर्ति हो जाती है.
मूत्र के माध्यम से अवांछनीय और विषैले तत्व शरीर से बाहर निकल जाते हैं.
गर्मियों के दौरान पानी शरीर का तापमान बनाए रखने में मदद करता है.
दूध में करीब 85 फीसद पानी होता है, इसलिए एक लीटर दूध पर ढाई लीटर पानी चाहिए.
फोडर एक्सपर्ट के मुताबिक सर्दियों के दौरान हरे चारे में नमी की मात्रा खूब होती है. पशु जब इस दौरान हरा चारा ज्यादा खाता है तो उसे डायरिया समेत और भी दूसरी बीमारी होने का खतरा बना रहता है. इतना ही नहीं उस चारे में मौजूद नमी के चलते ही दूध की क्वालिटी पर भी असर आ जाता है. इसलिए ये बेहद जरूरी है कि जब हमारा पशु हरा चारा खा रहा हो या बाहर चरने के लिए जा रहा हो तो हम पहले उसे सूखा चारा और मिनरल्स जरू दें. साथ में सूखा चारा खिलाने से हरे चारे में मौजूद नमी का स्तर सामान्य हो जाता है. वहीं मिनरल्स की पूरी मात्रा देने से दूध में फैट और दूसरी चीजों का स्तर भी बढ़ जाता है और दूध की क्वालिटी खराब नहीं होती है. पशु को सूखे चारे के तौर पर कई तरह का भूसा दिया जा सकता. वहीं मिनरल्स में खल, बिनौले, चने की चूनी आदि दी जा सकती है.
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