
Milk Production and Demand भारत आज बीते 27 साल से दूध उत्पादन में नंबर वन है तो उसकी बड़ी वजह है ऑपरेशन फ्लड (वाइट रेवोलुशन). करीब 55 साल पहले गुजरात से इसकी शुरुआत की गई थी. इंडियन डेयरी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट और अमूल के पूर्व एमडी डॉ. आरएस सोढ़ी का कहना है कि आज फिर डेयरी सेक्टर को वाइट रेवोलुशन-2 की जरूरत है. इसी की मदद से डिमांड के मुताबिक दूध उत्पादन बढ़ाया जा सकेगा. लेकिन इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि मिल्क प्रोडक्शन बढ़ाने, डेयरी में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने, पर्यावरण में संतुलन बनाए रखने, डेयरी डेपलवमेंट और डेयरी किसान को मजबूत बनाने के लिए वाइट रेवोलुशन-2 के मुताबिक पशुपालन और डेयरी फार्मिंग की जाए.
यही वजह है कि आज वाइट रेवोलुशन-2 हाईटेक टेक्नोलॉजी, क्लाइमेंट चेंज से निपटने और नए बाजार के मुताबिक डेयरी प्रोडक्ट की डिमांड है. इसके साथ ही राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB), राज्य सरकारों और डेयरी प्रोसेसिंग एवं इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (DIDF) भी वाइट रेवोलुशन-2 की डिमांड है. इसका मकसद डेयरी सेक्टर शहरीकरण और हैल्थ के प्रति जागरूक आबादी की ज़रूरतों को पूरा करते हुए स्थायी रूप से डेवलप हो.
डॉ. आरएस सोढ़ी का कहना है कि वाइट रेवोलुशन-2 का मकसद डेयरी पशुओं की उत्पादकता बढ़ाना है, जो इस क्षेत्र के लिए एक बड़ी चुनौती है. कृत्रिम गर्भाधान और जीनोमिक चयन जैसी उन्नत प्रजनन तकनीकों के साथ-साथ बेहतर पशु पोषण के माध्यम से हम डिमांड और सप्लाई के बीच के अंतर को स्थायी रूप से खत्म करने की उम्मीद कर रहे हैं. पशुओं के लिए उच्च गुणवत्ता वाले चारे और स्वास्थ्य सेवा तक बेहतर पहुंच सीधे दूध की पैदावार और गुणवत्ता दोनों को बढ़ाएगी.
आज की तेज़ी से विकसित होती दुनिया में डेयरी फार्मिंग में डिजिटल इन्नोवेशन को एकीकृत करना जरूरी है. डेटा एनालिटिक्स, मोबाइल स्वास्थ्य निगरानी ऐप और एआई-संचालित कृषि प्रबंधन समाधान जैसी तकनीकें किसानों के संचालन को आधुनिक बनाने के लिए तैयार हैं. ये उपकरण किसानों को निर्णय लेने में सक्षम बनाएंगे, जिससे उत्पादकता और मुनाफा दोनों में सुधार होगा.
स्थायित्व वाइट रेवोलुशन-2 का एक मुख्य पिलर है. जलवायु परिवर्तन कृषि और डेयरी के लिए एक बड़ा जोखिम है. मीथेन उत्सर्जन जैसे मुद्दे, पानी की खपत को कम करना और एनवायरनमेंट के साथ मैनेज करते हुए कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण कदम हैं. जैविक चारा उत्पादन को प्रोत्साहित करना और वेस्ट मैनेजमेंट प्रणालियों में सुधार करना न केवल पर्यावरण की रक्षा करने में मदद करेगा, बल्कि किसानों के लिए इनकम के नए रास्ते भी खोलेगा.
वाइट रेवोलुशन-2 का प्रमुख जोर किसान सशक्तिकरण पर है, खासतौर से महिलाओं के बीच, जो भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का अभिन्न अंग हैं. सहकारी समितियों को मजबूत करना, वित्तीय समावेशन का विस्तार करना, प्रशिक्षण और बुनियादी ढांचे तक पहुंच सुनिश्चित करना किसानों को फलने-फूलने में सक्षम बनाएगा. पनीर, दही और फोर्टिफाइड दूध जैसे वैल्यू एडेड डेयरी उत्पादों को बढ़ावा देने से घरेलू और इंटरनेशनल स्तर पर नए बाजार के अवसर पैदा होंगे.
स्किम्ड मिल्क पाउडर (एसएमपी) जैसे कमोडिटी स्टॉक की कीमत का पूरे डेयरी डेयरी पर बड़ा असर पड़ता है. जब एसएमपी की कीमतों में गिरावट आती है, तो इसका बाजार पर नकारात्मक असर पड़ता है, जिससे तरल दूध, मक्खन और दूसरे डेयरी उत्पादों की कीमतें प्रभावित होती हैं. इसी के चलते कच्चे दूध के लिए दी जाने वाली कीमतें भी प्रभावित होती हैं. अगर जल्द ही एसएमपी स्टॉक के बारे में कुछ नहीं किया गया तो कीमतों में गिरावट जारी रहेगी और किसानों को नुकसान होता रहेगा.
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