फसलों की तरह से डेयरी किसान भी दूध का सपोर्ट प्राइज दिए जाने की मांग कर रहे हैं. हाल ही में पटना में आयोजित डेयरी कांफ्रेंस में अजमेर मिल्क यूनियन ने भी दूध का सपोर्ट प्राइज दिए जाने की मांग उठाई थी. वहीं 12 मार्च को संसद में भी पशुपालकों को दूध का सपोर्ट प्राइज दिए जाने का सवाल उठाया गया था. जिस पर केन्द्र सरकार ने ये मामला प्राइवेट डेयरियों और सहकारी दुग्ध समितियों के पाले में डाल दिया है. गौरतलब रहे भारत दूध उत्पादन में पहले नंबर पर है.
दूध उत्पादन को और बढ़ाए जाने इसक पशुओं की नस्ल सुधार के लिए कई सरकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं. लेकिन डेयरी एक्सपर्ट का कहना है कि जब तक दूध का पशुपालकों को सही दाम नहीं मिलेगा और दूध की खपत नहीं बढ़ेगी तो दूध उत्पादन बढ़ना मुश्किल है.
संसद में उठे दूध के सपोर्ट प्राइज के सवाल पर केन्द्र सरकार का कहना है कि दूध के रेट तय करना प्राइवेट डेयरी और मिल्क कोऑपरेटिव का अधिकार क्षेत्र है. वहीं दूध की लागत और बाजार के मौजूदा हालातों को देखते हुए दूध के रेट तय करते हैं. पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी) के पास डेयरी किसानों के लिए मूल्य समर्थन योजना या सब्सिडी शुरू करने की कोई योजना नहीं है. क्योंकि डीएएचडी देश में दूध की खरीद और बिक्री की कीमतों को तय नहीं करता है. डेयरी सहकारी क्षेत्र में उपभोक्ता के लगभग 70 से 80 प्रतिशत रुपये का भुगतान दूध उत्पादन करने वाले डेयरी किसानों को किया जाता है.
केन्द्र सरकार ने सवाल का जवाब देते हुए ये भी बताया है कि डेयरी सेक्टर कृषि अर्थव्यवस्था में पांच फीसद से ज्यादा का योगदान देता है. पशुपालन और डेयरी में दूध उत्पादों का बड़ा हिस्सा होता है. दूध उत्पादन का मूल्य 2022-23 में खाद्यान्न उत्पादन के कुल मूल्य को पार करते हुए 11.16 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया था. दूध उत्पादन और दूध प्रोसेसिंग के बुनियादी ढांचे के लिए डीएएचडी देशभर में तमाम योजनाओं को लागू कर रहा है.
ये योजनाएं दूध देने वाले पशुओं की दूध उत्पादकता में सुधार, डेयरी बुनियादी ढांचे को मजबूत करने, चारे की उपलब्धता बढ़ाने और पशु स्वास्थ्य सेवाएं देने में मदद कर रही हैं. योजनाएं लागू होने से दूध उत्पादन की लागत को कम करने, संगठित बाजार उपलब्ध कराने और दूध के लाभकारी मूल्य के साथ डेयरी फार्मिंग से इनकम बढ़ाने में भी मदद करती हैं.
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