चारा एक्सपर्ट की मानें तो मानसून के दौरान हरे चारे की खासी किल्लत हो जाती है. ऐसा नहीं है कि इस दौरान हरा चारा नहीं होता है. बाकी के महीनों की तुलना में मानसून के दौरान खूब हरा चारा होता है, लेकिन उसे सीधे तौर पर पशुओं को खिला नहीं सकते हैं, क्योंकि उसमे नमी यानि पानी की मात्रा ज्यादा होती है. इसलिए या तो हम उस चारे की नमी को कम करके पशुओं को खिलाएं या फिर उस चारे का साइलेज बनाकर रख लें जो आगे चलकर काम आएगा. क्योंकि डेयरी एक्सपर्ट के मुताबिक देश में चारे की कमी महसूस की जा रही है. और इस कमी को चारे का साइलेज बनाकर दूर किया जा सकता है.
लेकिन साइलेज बनाने के लिए भी चारे को सुखाना जरूरी होता है और बरसात में मौसम चारे को सूखने नहीं देता है. पशुपालकों की इसी परेशानी को देखते हुए केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा ने एक सोलर यूनिट (शेड) तैयार की है. इस यूनिट के दो फायदे हैं. एक तो ये कि इसमे हरा चारा सुखाया जा सकता है. दूसरा ये कि बकरी के छोटे बच्चों को निमोनिया से बचाने के लिए इसके अंदर रखा जा सकता है.
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सीआईआरजी के साइंटिस्ट डॉ. बी. राय ने किसान तक को बताया कि सोलर की मदद से चलने वाला ये खास शेड हरे चारे का साइलेज बनाने में भी मदद करता है. जैसे बरसात के दिनों में हरा चारा बहुत होता है. लेकिन उसके अंदर नमी बहुत ज्यादा होती है, इसलिए उसे साइलेज या हे बनाकर नहीं रखा जा सकता है. और सुखाने की बात करें तो बरसात में हरे चारे को सुखाना बहुत ही मुश्किल हो जाता है. इसलिए इस खास सोलर ड्रॉयर का इस्तेमाल बरसात के दिनों में हरा चारा सुखाने में भी किया जा सकता है. और जैसे ही सर्दी शुरू हों तो बकरियों को सूखा हुआ चारा खिलाया जा सकता है. इसके चलते बाजार से महंगा हरा चारा भी नहीं खरीदना पड़ेगा.
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डॉ. बी. राय का कहना है कि विपरीत मौसम में गर्मी पैदा करने के लिए सोलर ड्रायर विंटर प्रोटेक्शन सिस्टम तैयार किया गया है. ये दोहरे काम करता है. ट्रॉयल के तौर पर हमने इस सिस्टम को लोहे की जाली के ऊपर बनाया है. जाली के पीछे प्लास्टिक की शीट्स लगाई गई हैं. इसके पीछे कुशन के पैनल लगाए गए हैं. इस तरह बाहर की ठंडी हवा अंदर शेड में नहीं आती है. अंदर गर्मी पैदा करने के लिए कुछ ज्यादा वॉट्स की लाइट लगाई जाती हैं. ऐसा सब करने से शेड के अंदर घुटन न हो इसके लिए एक एग्जॉस्ट फैन लगा दिया गया है. शेड में बिजली की सप्लाई बराबर बनी रहे इसके लिए सोलर पैनल का इस्तेमाल किया गया है. ऐसा करने से बच्चे बाहर के ठंडे मौसम से बच जाते हैं.