Silage Fodder: साइलेज और हे बनाकर डबल मुनाफा कमा रहे हैं पशुपालक, आप भी जानें तरीका

Silage Fodder: साइलेज और हे बनाकर डबल मुनाफा कमा रहे हैं पशुपालक, आप भी जानें तरीका

इंडियन ग्रासलैंड एंड फोडर रिसर्च इंस्टीट्यूट, झांसी का भी कहना है कि दूध के महंगा होने की वजह भी हरा चारा ही है. क्योंकि देश में हरे चारे के साथ ही सूखे चारे की कमी देखी जा रही है. यहां तक की सरसों समेत और दूसरी फसल की खल की भी कमी हो गई है. लेकिन साइलेज और हे से इस कमी को दूर किया जा सकता है. 

चारे की नई वैरायटीचारे की नई वैरायटी
नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • Jul 24, 2024,
  • Updated Jul 24, 2024, 11:49 AM IST

पशु गाय-भैंस हो या फिर भेड़-बकरी, सभी के सामने चारे का संकट है. सरकारी आंकड़ों पर जाएं तो हरा-सूखा चारा हो या मिनरल मिक्चर सभी में लगातार कमी देखी जा रही है. चारे की कमी का ये आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है. पशुपालकों के लिए ये परेशानी वाली बात तो है ही, लेकिन इसके साथ ही ये इनकम डबल करने का जरिया भी है. चारे की कमी के साथ ही बाजार में साइलेज और हे की डिमांड भी बढ़ने लगी है. जब हरा चारा ज्यादा होता है तो उसका साइलेज और हे बनाकर स्टॉक कर लिया जाता है. 

अब तो देश के बहुत सारे सरकारी संस्थान किसानों और पशुपालकों को साइलेज और हे बनाने का तरीका सिखा रहे हैं. एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो किसान और पशुपालक एक छोटी सी ट्रेनिंग के बाद अपने पशुओं को पूरे साल सस्ता हरा चारा खिलाने के साथ ही उसकी बिक्री भी कर सकते हैं. केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, मथुरा इसकी ट्रेनिंग दे रहा है. इस ट्रेनिंग के बाद हम घर पर ही हे और साइलेज बनाकर चारे की कमी को पूरा कर सकते हैं.

ये भी पढ़ें: डेटा बोलता है: अंडे-चिकन के लिए आफत बनी मक्का, ऐसे बिगड़ी पोल्ट्री बाजार की चाल

जानें कब बनाया जा सकता है साइलेज

फोडर एक्सपर्ट डॉ. मोहम्मद आरिफ ने किसान तक को बताया कि बेशक हम साइलेज और हे घर पर तैयार कर सकते हैं, लेकिन उसके लिए बहुत सावधानी बरतने की जरूरत है. इसलिए बिना किसी एक्सपर्ट की सलाह और ट्रेनिंग के तैयार किए गए साइलेज-हे पशुओं को खि‍लाने की कोशि‍श ना करें. साइलेज बनाने के लिए सबसे पहले उस हरे चारे की कटाई सुबह के वक्त करें जिसका हम साइलेज बनाने जा रहे हैं. ऐसा करने से हमे दिन का वक्त उस चारे को सुखाने के लिए मिल जाएगा. क्योंकि साइलेज बनाने से पहले चारे के पत्तों को सुखाना जरूरी है.

चारे को कभी भी जमीन पर सीधे ना सुखाएं. लोहे का कोई स्टैंड या जाली पर रखकर सुखाएं. चारे के छोटे-छोटे गठ्ठर बनाकर लटका कर भी चारे को सुखाया जा सकता है. क्योंकि जमीन पर चारा डालने से उसमे फंगस लगने के चांस ज्यादा रहते हैं. कुल मिलाकर करना ये है कि जब चारे में 15 से 18 फीसद नमी रह जाए तभी उसे साइलेज की प्रक्रि‍या में शामिल करें. और एक बात का खास ख्याल रखें कि किसी भी हाल में पशुओं को फंगस लगा चारा खाने में ना दें. 

ये भी पढ़ें: डेटा बोलता है: बढ़ते दूध उत्पादन से खुला नौकरियों का पिटारा, जानें कैसे 

साइलेज के लिए ऐसे करें फसल का चुनाव 

डॉ. मोहम्मद आरिफ का कहना है कि साइलेज बनाने के लिए फसल का चुनाव करना भी बेहद जरूरी है. क्योंकि साइलेज बनाने के दौरान सबसे बड़ी कोशि‍श यही होनी चाहिए कि चारे में फंगस नहीं लगे. इसके लिए करना ये चाहिए कि साइलेज बनाने के लिए हमेशा पतले तने वाली चारे की फसल का चुनाव करें. फसल को पकने से पहले ही काट लें. फसल के तने को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें. उसके बाद उन्हें ऊपर बताए गए तरीके के मुताबिक सुखा लें. पतले तने वाली फसल का चुनाव करने से फायदा ये होता है कि वो जल्दी सूख जाती है. तने में नमी का पता इस तरह से भी लगाया जा सकता है कि तने को हाथ से तोड़कर देख लें. 

 

MORE NEWS

Read more!