Sheep Disease: भेड़ों के लिए बेहद खतरनाक है यह संक्रामक रोग, जानिए रोकथाम के उपाय

Sheep Disease: भेड़ों के लिए बेहद खतरनाक है यह संक्रामक रोग, जानिए रोकथाम के उपाय

Sheep Foot Disease: भारत में भेड़ पालन किसानों की आय का प्रमुख स्रोत है, लेकिन खुरपका जैसी संक्रामक बीमारी बड़ी चुनौती है. यह रोग भेड़ों की चाल, प्रजनन, ऊन और मांस उत्पादन को प्रभावित करता है. वैज्ञानिकों के अनुसार, बचाव ही इसका सबसे असरदार उपाय है.

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क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jun 28, 2025,
  • Updated Jun 28, 2025, 6:40 AM IST

भारत पशुपाल और दूध उत्‍पादन में तेजी से आगे बढ़ रहा है. एक ओर जहां देश में गाय-भैंस पालने का काफी चलन है. वहीं भेड़-बकरी पालन से भी बड़ी संख्‍या में लोग जीवनयापन कर रहे हैं. भेड़ पालन भी कृषि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इससे दूध, मांस और ऊन जैसे जरूरी उत्पाद मिलते हैं. लेकिन, भेड़ की बीमा‍रियां कई बार पशुपालकों की चिंता बढ़ाती हैं, क्‍योंकि सही जानकारी न होने के कारण बीमारियों कई बार ठीक नहीं हो पाती हैं.

भेड़ में भी एक ऐसी ही बीमारी पशुपालक की चि‍ंता बढ़ाती है. इस बीमारी का नाम है खुरपका. ऐसे में आज आईसीएआर से जुड़े वैज्ञानिकों- ब्रूस बरेटो, रिंकु शर्मा, गोरख मल, अजेयता रियालच और राजवीर सिंह पवैया के अनुसार इस बीमारी की रोकथाम और बचाव के तरीके जानि‍ए. इन्‍हें अपनाकर पशुपालक अपने पशुओं की बेहतर देखभाल कर सकते हैं.

संक्रामक जीवाणु रोग है खुरपका

खुरपका, डाइचेलोबैक्टर नोडोसस और फ्यूसोबैक्टीरियम नेक्रोफोरम के कारण होने वाला एक संक्रामक जीवाणु रोग है. यह मुख्य रूप से भेड़ों को प्रभावित करता है. यह रोग भेड़ों के लिए दर्द, लंगड़ापन और कम गतिशीलता का कारण बनता है. यह रोग भेड़ों की चरने, प्रजनन, ऊन और मांस उत्पादन में योगदान करने की क्षमता पर भी असर डालता है. 

इस बीमारी के चलते पशुपालकों को उपचार लागत में बढ़ोतरी और उत्पादकता में कमी के कारण गंभीर आर्थिक असर का सामना करना पड़ता है. यह रोग भारत के कई क्षेत्रों में व्यापक रूप से फैला हुआ है, जिनमें जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और दक्षिण भारत शामिल हैं. रोकथाम के उपायों में संगरोध, खुर काटने वाले उपकरणों का परिशोधन और प्रभावित भेड़ों को अलग करना शामिल है.

टीका बनाने के लिए शोध जारी

भेड़ के पैर धोना, एंटीबायोटिक्स और दर्द निवारक दवाइयों की मदद से इसका इलाज किया जाता है. हालांकि, बचाव ज्‍यादा जरूरी है. वर्तमान में इस रोग को लेकर शोध चल रहा है. शोध का उद्देश्य रोग के बेहतर नियंत्रण के लिए एक प्रभावी टीका तैयार करना है, ताकि समय रहते इसकी रोकथाम की जा सके.

भेड़ में खुरपका की रोकथाम के उपाय 

  • स्वस्थ झुंड में रोग के प्रवेश को रोकने के लिए नए पशुओं को संगरोधित करें.
  • खुर काटने वाले उपकरण को प्रत्येक पैर के बाद और पशुओं के बीच कीटाणुरहित किया जाना चाहिए.
  • ब्लेड को 60 प्रतिशत इथेनॉल के घोल में डूबे हुए कीटाणुनाशक तौलिये से पोंछें. साथ ही 4 प्रतिशत फॉर्मेल्डिहाइड घोल में अतिरिक्त स्नान और कीटाणुनाशक तौलिये से दूसरी बार सफाई करने से डी. नोडोसस बैक्टीरिया में अधिक कमी आती है.
  • हर पशु को संभालने के बाद श्रमिकों को दस्ताने बदलने/कीटाणुरहित करने चाहिए.
  • सभी खुरों की कतरनों को झुंड की पहुंच से बाहर एक जगह पर इकट्ठा करके फेंकना चाहिए.
  • हमेशा रोगी भेड़ों को अलग रखें और उनका उपचार करें या उन्हें नष्ट कर दें.

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