Green Fodder for Silage किसी भी पशु के लिए एक ही तरह का हरा चारा फायदेमंद नहीं होता है. बल्कि एक ही तरह का हरा चारा हर रोज खिलाने से वो पशु को नुकसान भी पहुंचा सकता है. इसीलिए एनिमल एक्सपर्ट छोटे-बड़े हर तरह के पशुओं को बैलेंस डाइट खिलाने की सलाह देते हैं. कई बार पशुपालक मौसम के हिसाब से होने वाले चारे को ही ज्यादा खिलाते हैं. खासतौर पर ऐसे पशुओं के लिए जो दूध और मीट के लिए पाले जाते हैं. दूध-मीट का उत्पादन करने वाले पशुओं के लिए बैलेंस डाइट बहुत जरूरी बताई जाती है. यही वजह है कि फोडर एक्सपर्ट सितम्बर में बहुवर्षीय घास के साथ दलहनी चारा लगाने की सलाह देते हैं.
क्योंकि इंसानों की तरह से ही पशुओं को भी उत्पादन के लिए डाइट में कर्बोहाइड्रेड, प्रोटीन और दूसरे मिनरल्स की जरूरत होती है. एनिमल न्यूट्रीशन एक्सपर्ट का कहना है कि पशुओं को अगर बैलेंस डाइट मिलती है तो दूध की क्वालिटी सुधरने के साथ ही उत्पादन भी बढ़ता है.
फोडर एक्सपर्ट डॉ. एमए खान का कहना है कि हरे चारे की एक फसल ऐसी होनी चाहिए जो एक बार लगाने के बाद कई साल तक उपज दे. जैसे नेपियर घास को बहुवर्षीय चारा कहा जाता है. बहुवर्षीय चारा वो होता है जो एक बार लगाने के बाद लम्बे वक्त तक उपज देता है. नेपियर घास भी उसी में से एक है. एक बार नेपियर घास लगाने के बाद करीब पांच साल तक हरा चारा लिया जा सकता है. लेकिन ऐसा भी नहीं किया जा सकता है कि पशुओं को सिर्फ नेपियर घास ही खिलाते रहें. अगर आप पशु को नेपियर घास दे रहे हैं तो उसके साथ उसे दलहनी चारा भी खिलाएं. इसके लिए सितम्बर में नेपियर घास के साथ लोबिया लगाया जा सकता है. हर मौसम में आप नेपियर के साथ सीजन के हिसाब से दूसरा हरा चारा लगा सकते हैं.
ऐसा करने से पशु को नेपियर घास से कर्बोहाइड्रेड है तो लोबिया से प्रोटीन और दूसरे मिनरल्स मिलते हैं. और इसी तरह की खुराक से भेड़-बकरी में मीट की ग्रोथ होती है तो गाय-भैंस में दूध का उत्पादन बढ़ता है. लेकिन ये तभी मुमकिन होता है जब पशुपालक को इस बात की जानकारी हो कि दूध देने वाले और मीट के लिए पाले जाने वाले पशुओं को दिनभर की खुराक के तौर पर हम जो चारा खिला रहे है उसमे जरूरी पोषक तत्व हैं या नहीं. या फिर कौन-कौनसा चारा खिलाने से उन पोषक तत्वों की कमी पूरी होगी. ऐसा करने से ही उत्पादन बढ़ने के साथ ही दूध-मीट की लागत भी कम होती है.
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