Dairy Milk: NDDB ने 10 साल के लिए लीज पर लिया काऊ मिल्क प्लांट, अब इंतजार है शुरू होने का 

Dairy Milk: NDDB ने 10 साल के लिए लीज पर लिया काऊ मिल्क प्लांट, अब इंतजार है शुरू होने का 

Dairy Milk Plant यूपी सरकार ने कन्नौज के ग्रामीण इलाके में एक काऊ मिल्क प्लांट की शुरुआत की थी. लेकिन शुरू होने के कुछ साल बाद ही इस प्लांट पर ताला लग गया. तब से ये प्लांट इसी तरह से बंद पड़ा है. प्लांट के अंदर विदेशों से मंगाई गईं मशीनें भी हैं. लेकिन एनडीडीबी इसे सरकार से लीज पर ले चुका है. 

गौ-पालकों को इस पहल का लाभ मिलने की उम्मीद की जा रही है (Photo-Kisan Tak)गौ-पालकों को इस पहल का लाभ मिलने की उम्मीद की जा रही है (Photo-Kisan Tak)
नासि‍र हुसैन
  • New Delhi,
  • Sep 12, 2025,
  • Updated Sep 12, 2025, 1:02 PM IST

चार साल में देखते ही देखते 141 करोड़ की लागत वाले प्लांट पर 140 रुपये की कीमत वाला ताला लग गया. ताला भी ऐसा लगा कि लाख कोशि‍शों के बाद 2025 में अभी तक इस काऊ मिल्क प्लांट का ताला नहीं खुल सका है. हालांकि प्लांट का ताला खोलने के लिए नेशनल डेयरी डवलपमेंट बोर्ड (NDDB) इस प्लांट को 10 साल के लिए यूपी सरकार से लीज पर ले चुकी है. लेकिन ताला अभी भी नहीं खुला है. प्लांट के अंदर विदेशों से मंगाई गईं करोड़ रुपये की कीमत वाली मशीनें भी हैं. 

यूपी सरकार का ये प्लांट कन्नौज में है. खास बात ये है कि शुरू होने के तीन-चार साल बाद ही इस प्लांट पर ताला लग गया था. इसके बाद से ही आधा दर्जन से ज्यादा शहरों के पशुपालक इस इंतजार में हैं कि कब इस प्लांट का ताला खुले और दूध की सप्लाई शुरू हो. 

एक लाख लीटर दूध की क्षमता है प्लांट की 

जानकारों की मानें तो साल 2015 में काऊ मिल्क प्लांट का निर्माण शुरू हुआ था. उस वक्त इस प्लांट पर 141 करोड़ रुपये की लागत आई थी. प्लांट के लिए जर्मनी और फ्रांस से मशीनें भी मंगाई गईं थी. इसमे दूध को ठंडा करने वाले चिलर और मशीनों की सफाई करने वाली फिल्टर मशीन भी शामिल है. लेकिन साल 2018 में ये प्लांट शुरू हुआ था और सिर्फ 2022 तक ही चल सका. जानकारों की मानें तो बजट के अभाव में प्लांट इस हाल में पहुंचा है. 

ऐसी नौबत आई कि वेतन देना हो गया मुश्किुल 

जानकारों का कहना है कि इस प्लांट पर 52 लोग अलग-अलग शि‍फ्ट में काम करते थे. इसमे अधि‍कारियों से लेकर टेक्नि कल कर्मचारी, मजदूर और सुरक्षा गार्ड भी शामिल थे. लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया कि जब स्टाफ को वेतन देना भी मुश्किदल हो गया. प्लांट के दूसरे काम भी बजट के अभाव में लटकने लगे. एक-दो नहीं कई-कई बार यूपी सरकार को बजट के लिए पत्र लिखा गया. वजह जो भी रही हो, लेकिन प्लांट को बजट नहीं मिल पाया और मशीनें बंद होने के साथ ही गेट पर ताला लटक गया. 

प्लांट में इन शहरों से आता था दूध 

प्लांट में काम कर चुके लोगों की मानें तो यहां आगरा, मथुरा, कन्नौज, फिरोजाबाद, एटा, हाथरस, अलीगढ़, बुलंदशहर, कानपुर नगर, कानपुर देहात, औरेया, बरेली, मैनपुरी, हमीरपुर, हरदोई, शाहजहांपुर, बाराबंकी और फर्रखाबाद से दूध आता था. 

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