वेस्ट असम मिल्क प्रोड्यूसर्स कोऑपरेटिव यूनियन लिमिटेड (WAMUL), जिसे पूरबी डेयरी के नाम से भी जाना जाता है, ने शनिवार को असम के पाठशाला में कृत्रिम गर्भाधान के लाभों (benefits of artificial insemination) के बारे में बताने के लिए एक मेगा काफ शो (Mega Calf Show) का आयोजन किया. इस प्रदर्शनी में असम में कृत्रिम गर्भाधान (artificial insemination) के माध्यम से पैदा हुए 100 मादा बछड़ों को दिखाया गया, जो WAMUL द्वारा चलाए जा रहे विश्व बैंक वित्तपोषित प्रोजेक्ट के तहत डोरस्टेप कृत्रिम गर्भाधान डिलीवरी सेवा और एनडीडीबी (NDDB) डेयरी सेवाओं द्वारा प्रदान की जा रही तकनीकी सहायता के माध्यम से संभव हो पाया है.
वही प्रदर्शनी में गिर, साहीवाल और लाल सिंधी जैसी स्वदेशी नस्लों के उच्च आनुवंशिक योग्यता वाले बछड़ों और देशी नस्लों और होल्स्टीन फ्राइज़ियन (एचएफ)/जर्सी (जेवाई) के बीच क्रॉस-नस्लों को प्रदर्शित किया गया. साथ ही एचएफ और जेवाई जैसी विदेशी नस्लों के कुछ बछड़ों को भी प्रदर्शित किया गया.
गौरतलब है कि असम मौजूदा वक्त में, एक दूध की कमी वाला राज्य है. दरअसल, राज्य में जितनी दूध की खपत है, उतना भी दुग्ध उत्पादन नहीं होता है. नतीजतन उसे देश के अन्य राज्यों से दूध खरीदकर अपनी अधिकांश ज़रूरतें पूरी करनी पड़ती है. इसके अलावा, राज्य में प्रति व्यक्ति दूध की खपत भी राष्ट्रीय औसत की तुलना में कम है.
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WAMUL द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में असम के कृषि और डेयरी मंत्री अतुल बोरा, खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामलों के मंत्री रंजीत कुमार दास और सहकारिता मंत्री नंदिता गोरलोसा ने भाग लिया. साथ ही मीनेश सी शाह, चेयरमैन, एनडीडीबी भी विशेष अतिथि के रूप में शामिल हुए थे.
इस मौके पर एनडीडीबी के चेयरमैन मीनेश शाह ने कहा कि डेयरी उद्योग कृषि और संबद्ध क्षेत्र में आजीविका के सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावी स्रोतों में से एक है. इसके अलावा, शाह ने डेयरी के लाभों के बारे में विस्तार से बताया और कहा कि अब डेयरी और दूध उत्पादों तक सीमित नहीं है, बल्कि जैविक खाद, ईंधन और गोबर गैस तक फैला हुआ है. साथ ही उत्पादकता के पहलू पर, मीनेश सी शाह ने पशुओं के फ़ीड और चारे की भूमिका पर भी प्रकाश डाला जिसे बड़े पैमाने पर विकसित करने की आवश्यकता है.
साभार: एएनआई
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