UP सरकार ने शुरू की नई बकरी पालन योजना, गरीब पशुपालकों को मिलेंगी कई सुविधाएं

UP सरकार ने शुरू की नई बकरी पालन योजना, गरीब पशुपालकों को मिलेंगी कई सुविधाएं

उत्तर प्रदेश सरकार की यह बकरी पालन योजना एक ऐसा प्रयास है जो ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की तस्वीर और तकदीर दोनों बदल सकता है. यदि आप या आपका कोई जानने वाला इस योजना का पात्र है, तो समय रहते आवेदन करें और आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ाएं.

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क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jun 26, 2025,
  • Updated Jun 26, 2025, 12:30 PM IST

उत्तर प्रदेश सरकार अब अनुसूचित जाति के गरीब और भूमिहीन पशुपालकों के लिए नई उम्मीद लेकर आई है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में शुरू की गई नई बकरी पालन योजना सिर्फ पशुधन बढ़ाने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य रोजगार, पोषण और आत्मनिर्भरता को भी बढ़ावा देना है. इस योजना का मकसद है कि ग्रामीण इलाकों में रहने वाले आर्थिक रूप से कमजोर अनुसूचित जाति के लोगों को आत्मनिर्भर बनाया जाए. खासतौर से वे लोग जो भूमिहीन, बेरोजगार और पशुपालन से जुड़े हैं, उन्हें बकरी पालन का प्रशिक्षण देकर आजीविका का मजबूत साधन दिया जाएगा. बकरी का दूध और मांस दोनों ही पोषण और आमदनी के अच्छे स्रोत माने जाते हैं. इससे कुपोषण में भी कमी आएगी.

क्या है योजना का ढांचा?

राज्य सरकार की योजना के तहत प्रदेश के सभी 75 जिलों में हर साल 750 बकरी पालन इकाइयां स्थापित की जाएंगी. हर जिले में 10 इकाइयां बनेंगी. एक इकाई में मिलेगा 1 नर बकरा और 5 मादा बकरियाँ

  • प्रति इकाई लागत: ₹60,000
  • सरकारी सहायता (90%): ₹54,000
  • लाभार्थी का योगदान (10%): ₹6,000

योजना के लिए जरूरी पात्रता

इस योजना का लाभ लेने के लिए कुछ जरूरी योग्यताएं हैं:

  • आवेदक की उम्र 18 साल से अधिक होनी चाहिए.
  • वह अनुसूचित जाति का बेरोजगार महिला या पुरुष पशुपालक हो.
  • बकरियाँ रखने के लिए उचित स्थान होना चाहिए (शेड या खुली जगह).
  • यदि आवेदक ने इटावा या मथुरा के बकरी पालन प्रशिक्षण संस्थानों से प्रशिक्षण लिया है, तो उसे प्राथमिकता मिलेगी.
  • विधवा या निराश्रित महिलाओं को विशेष प्राथमिकता दी जाएगी.

योजना के तहत क्या मिलेगा?

इस योजना में सरकार द्वारा दी गई राशि से निम्नलिखित सुविधाएँ दी जाएंगी:

  • नर और मादा बकरियों की खरीद
  • बकरी बीमा
  • चिकित्सा सुविधा
  • बकरियों के परिवहन का खर्च

इससे लाभार्थियों को दूध, बकरी के बच्चे और मांस बेचकर नियमित आमदनी का जरिया मिलेगा.

क्यों है यह योजना खास?

  • कम लागत, कम जोखिम में शुरू होने वाला व्यवसाय
  • गरीब और मध्यम वर्ग के लिए उत्तम आजीविका का साधन
  • बकरी का दूध पौष्टिक होता है, जिससे कुपोषण कम होगा
  • महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलेगा
  • स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ेंगे
  • ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी

निगरानी और प्रशासनिक व्यवस्था

राज्य सरकार ने योजना को सही ढंग से लागू करने के लिए सभी जिलाधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए हैं.

  • जिला पशुधन अधिकारी लाभार्थियों का चयन करेंगे और प्रशिक्षण की व्यवस्था करेंगे.
  • प्रशिक्षण पूरा होने के बाद ही बकरियाँ दी जाएंगी.
  • बीमा, चिकित्सा और अन्य सुविधाएं प्रशासन की निगरानी में पारदर्शी तरीके से दी जाएंगी.

आगे की तैयारी

पशुधन विभाग के अनुसार, यह योजना पिछड़े वर्गों के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए मील का पत्थर बनेगी. इससे बकरी के दूध और मांस का उत्पादन भी बढ़ेगा, जिससे प्रदेश की आर्थिक स्थिति को मजबूती मिलेगी.

कई जिलों में तैयारी शुरू हो चुकी है. जल्द ही लाभार्थियों की सूची तैयार हो जाएगी. अगले महीने से प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू होंगे और सितंबर तक बकरियों का वितरण किया जाएगा.

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