`बिहार में सोयाबीन क्रांति की शुरुआत` किसानों को मिलेगा 4000 का प्रति एकड़ अनुदान, बीज भी एकदम मुफ्त

`बिहार में सोयाबीन क्रांति की शुरुआत` किसानों को मिलेगा 4000 का प्रति एकड़ अनुदान, बीज भी एकदम मुफ्त

अब बिहार में भी सोयाबीन की खेती बड़े पैमाने पर होगी. अभी तक मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में ही इसकी खेती बड़े पैमाने पर होती थी, लेकिन अब बिहार में इसकी खेती को लेकर बड़ी तैयारी है. बिहार सरकार इसकी खेती के लिए किसानों को प्रति एकड़ 4000 रुपये का अनुदान भी देगी.

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`बिहार में सोयाबीन क्रांति की शुरुआत` किसानों को मिलेगा 4000 का प्रति एकड़ अनुदानबिहार में होगी सोयाबीन की खेती

तिलहन फसलों में आत्मनिर्भरता और किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में बिहार सरकार ने सोयाबीन खेती को बढ़ावा देने के लिए एक अहम पहल की है. खरीफ 2025 के लिए तैयार इस विशेष योजना के तहत बेगूसराय, लखीसराय और खगड़िया जिलों को पायलट के रूप में चुना गया है. इन जिलों में 5000 एकड़ भूमि पर फसल प्रदर्शन कार्यक्रम चलाया जा रहा है, जिसमें प्रति एकड़ 4000 रुपये का अनुदान किसानों को दिया जा रहा है.

100% अनुदान पर मिलेगा बीज

उप मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने बताया कि किसानों को 355 क्विंटल प्रमाणित बीज पूरी तरह मुफ्त (100% अनुदान) पर उपलब्ध कराया जा रहा है. साथ ही केंद्र सरकार की ओर से भेजे गए 100 क्विंटल प्रजनक बीज का उत्पादन बिहार में किया जा रहा है, जिससे भविष्य में स्थानीय स्तर पर बीज की आत्मनिर्भरता सुनिश्चित होगी.

क्लस्टर मॉडल और फील्ड स्कूल की व्यवस्था

योजना को वैल्यू चेन पार्टनर्स के माध्यम से लागू किया जाएगा. प्रत्येक चिन्हित जिले में एक क्लस्टर बनाया जाएगा, जिसमें किसानों को नवीनतम तकनीकों से प्रशिक्षित करने के लिए फार्मर्स फील्ड स्कूल और प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चलाए जाएंगे.

कैसे करें आवेदन?

बिहार के किसान इस योजना का लाभ उठाने के लिए जिले के कृषि विभाग कार्यालय में जाएं या ऑनलाइन पोर्टल (बिहार कृषि विभाग की वेबसाइट) के माध्यम से पंजीकरण कराना होगा. इसके साथ ही अनुदान और बीज प्राप्त करने के लिए किसानों को अपने खेत का विवरण, जैसे भूमि का क्षेत्रफल और स्वामित्व प्रमाण, जमा करना होगा. वहीं , अधिक जानकारी के लिए स्थानीय  कृषि समन्वयक या ब्लॉक स्तर के कृषि अधिकारियों से किसान  संपर्क कर सकते हैं. 

इसलिए करें सोयाबीन की खेती?

प्रोटीन का पावरहाउस- मानव और पशु आहार दोनों के लिए
खाद्य तेल और औद्योगिक उपयोग में बेहद कारगर
मिट्टी की उर्वरता बढ़ाता है, नाइट्रोजन स्थिरीकरण में मददगार
कम लागत में अधिक लाभ की संभावना

इस तरह यह योजना बिहार के किसानों के लिए एक आर्थिक संबल और सस्टेनेबल खेती की दिशा में मजबूत कदम है. सरकार की यह पहल न सिर्फ किसानों की आमदनी बढ़ाएगी, बल्कि राज्य को तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर भी बनाएगी.

सोयाबीन की खेती अभी तक मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में अधिक होती थी. इससे किसानों की कमाई भी बढ़ती है. इसे देखते हुए बिहार सरकार भी तिलहन को बढ़ावा देते हुए सोयाबीन की खेती को बड़े पैमाने पर करने का फैसला लिया है. इसके लिए किसानों को सब्सिडी की सुविधा दी जा रही है जिसकी मदद से वे सोयाबीन की खेती को बढ़ा सकेंगे.

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