
Dairy Scheme for Maharashtra महाराष्ट्र के विदर्भ और मराठवाड़ा इलाके किसानों की आत्महत्याओं के लिए कुख्यात हैं. ऐसा दावा किया जाता है कि देश में किसानों की आत्महत्या के सबसे ज्यादा आंकड़े यहीं से आते हैं. इसलिए इन इलाकों में सबसे बड़ी चुनौती किसानों की आत्महत्या को रोकना है. इसी के चलते केन्द्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है. इसके लिए सरकार एक बड़ी योजना लाई है. योजना के तहत पशुपालकों को साल के 12 महीने मिलने वाले चारा उत्पादन पर सब्सिडी दी जाएगी. इतना ही नहीं पशुपालकों को चारा काटने वाली इलेक्ट्रिक मशीन और साइलेज का वितरण किया जाएगा.
अच्छे डेयरी मैनेजमेंट के लिए पशुपालकों को ट्रेनिंग भी दी जाएगी. इन योजनाओं का फायदा विदर्भ और मराठवाड़ा में आने वाले 19 जिलों के पशुपालकों को दिया जाएगा. सरकार को उम्मीद है कि दूध व्यवसाय से इन इलाकों में कृषि संकट को दूर करने और किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधारने में मदद मिलेगी. नेशनल डेयरी डवलपमेंट बोर्ड (NDDB) इस योजना में केन्द्र सरकार का सहायोग कर रही है.
केन्द्रीय पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी), भारत सरकार (जीओआई) की राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) योजना के तहत चलाई जा रही कृत्रिम गर्भाधान (एआई) परियोजना में मराठवाड़ा क्षेत्र के किसानों को गुणवत्तापूर्ण एआई सेवाएं देने के लिए 273 एआई केंद्र बनाए गए हैं. एआई केंद्रों ने अब तक पारंपरिक वीर्य का इस्तेमाल करके करीब दो लाख एआई और सेक्स सॉर्टेड सीमन का इस्तेमाल करके 12024 एआई किए हैं. इन एआई से अब तक क्षेत्र में 20,979 आनुवंशिक रूप से बेहतर बछड़ों ने जन्म लिया है. दूध का लाभकारी मूल्य प्रदान करने और दूध उत्पादन को बढ़ाने के लिए तकनीकी इनपुट देने के लिए एनडीडीबी की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी मदर डेयरी फ्रूट एंड वेजिटेबल प्राइवेट लिमिटेड (एमडीएफवीपीएल) परिचालन क्षेत्र में नांदेड़ जिले के 247 गांव शामिल हैं.
दूध संग्रह के बुनियादी ढांचे में 187 दूध पूलिंग पॉइंट, 15 बल्क मिल्क कूलर और एक मिल्क चिलिंग सेंटर शामिल किया गया है. महाराष्ट्र सरकार का कहना है कि मराठवाड़ा क्षेत्र में डेयरी को बढ़ाने के लिए राज्य सरकार साल 2023-24 और 2024-25 के दौरान “दुधारू पशुओं की आपूर्ति” को लागू कर रही है. केंद्र प्रायोजित योजना के तहत महाराष्ट्र राज्य सरकार के साथ साझेदारी में मंत्रालय द्वारा विभिन्न पशु रोगों का टीकाकरण किया जा रहा है.
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