अब मुर्गी पालन से होगी दोगुनी कमाई, मुर्गे की ये नस्ल बनी किसानों की पसंद

अब मुर्गी पालन से होगी दोगुनी कमाई, मुर्गे की ये नस्ल बनी किसानों की पसंद

नर्मदा निधि मुर्गी नस्ल ने कड़कनाथ को भी पीछे छोड़ दिया है. तेजी से बढ़ने वाली यह प्रजाति कम समय में ज्यादा मुनाफा देती है. जानिए कैसे किसान इससे 3-4 महीने में मोटी कमाई कर सकते हैं.

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क‍िसान तक
  • Noida,
  • Aug 22, 2025,
  • Updated Aug 22, 2025, 8:50 AM IST

मुर्गा-मुर्गी पालन हमेशा से किसानों और व्यापारियों के लिए फायदे का सौदा रहा है. खासकर मांस और अंडों की बढ़ती मांग के चलते इस क्षेत्र में कमाई के अच्छे अवसर हैं. अब इस व्यवसाय में एक नई नस्ल ने धूम मचा दी है – नर्मदा निधि, जिसे लोग कड़कनाथ का “बाप” भी कहने लगे हैं.

नर्मदा निधि एक नई नस्ल है, जो कड़कनाथ और जबलपुर कलर मुर्गी की क्रासिंग से तैयार की गई है. इसमें 25% कड़कनाथ और 75% जबलपुर कलर मुर्गी के गुण हैं. इस नस्ल की खासियत है इसकी तेज ग्रोथ और ज्यादा अंडा उत्पादन.

तेजी से बढ़ता है इसका वजन

  • नर्मदा निधि मुर्गा-मुर्गी की ग्रोथ बहुत तेज होती है.
  • सिर्फ ढाई महीने में मुर्गे 800 से 900 ग्राम तक के हो जाते हैं.
  • साढ़े चार महीने में मुर्गे 1.5 किलो और मुर्गियां 1.25 किलो तक वजन प्राप्त कर लेती हैं.
  • इसका मतलब है कि किसान 3 से 4 महीने में ही इनका व्यापार कर सकते हैं और मोटा मुनाफा कमा सकते हैं.

अंडा उत्पादन में भी आगे

नर्मदा निधि सालभर में 150 से 180 अंडे देती है, जो देसी मुर्गियों से कहीं ज्यादा है. इसके अंडे पोषण से भरपूर होते हैं और बाजार में इनकी अच्छी मांग बनी रहती है.

पोषण में भी सबसे आगे

  • इस नस्ल का मांस स्वादिष्ट होने के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है.
  • जबकि प्रोटीन और आयरन ज्यादा होता है
  • यह कुपोषण से लड़ने में मददगार हो सकता है, खासकर बच्चों और कमजोर लोगों के लिए.

बीमारियों से बेहतर सुरक्षा

बरसात के मौसम में आमतौर पर मुर्गियों में बीमारियां फैलती हैं. लेकिन नर्मदा निधि में रोग प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा पाई जाती है. इससे पालन में खर्च कम होता है और नुकसान का डर भी कम हो जाता है.

किसानों के लिए क्यों फायदेमंद है नर्मदा निधि?

  • तेज ग्रोथ के कारण जल्दी बिक्री की सुविधा
  • कम समय में ज्यादा कमाई
  • अंडा और मांस दोनों से अच्छा मुनाफा
  • बीमारियों का कम खतरा
  • पोषण से भरपूर, जिससे बाजार में ज्यादा डिमांड

कहां पाया जाता है यह नस्ल?

फिलहाल यह नस्ल मध्य प्रदेश के खरगोन, झाबुआ, अलीराजपुर, धार और अन्य आदिवासी इलाकों में तेजी से अपनाई जा रही है. यहां के पशु चिकित्सालयों और मुर्गी पालकों की मदद से यह नस्ल किसानों के बीच लोकप्रिय हो रही है.

यदि आप मुर्गा-मुर्गी पालन शुरू करने की सोच रहे हैं, या पहले से इस व्यवसाय से जुड़े हैं, तो नर्मदा निधि आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प है. कम समय में ज्यादा उत्पादन, बेहतर पोषण और बीमारी से सुरक्षा जैसे गुण इसे एक सफल व्यवसाय बनाने में मदद करते हैं.

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