26 जनवरी को राष्ट्रपति की मेहमान होंगी गोबर को रुपये में बदलने वालीं ये दो महिलाएं, पढ़ें डिटेल 

26 जनवरी को राष्ट्रपति की मेहमान होंगी गोबर को रुपये में बदलने वालीं ये दो महिलाएं, पढ़ें डिटेल 

मुजकुवा सखी खाद सहकारी मंडली लिमिटेड संस्था और उनकी अध्यक्ष हेमाबेन पढ़ियार और सचिव जागृतिबेन पढ़ियार अब आम से खास हो गए हैं. उनके मॉडल की चर्चा अब राष्ट्रपति भवन, दिल्ली तक भी पहुंच गई है. नेशनल डेयरी डवलपमेंट बोर्ड (NDDB) के चैयरमेन डॉ. मीनेश शाह ने खुद ये जानकारी सोशल मीडिया पर शेयर की है. 

नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • Jan 21, 2025,
  • Updated Jan 21, 2025, 3:42 PM IST

मुजकुवा सखी खाद सहकारी मंडली लिमिटेड की चर्चा अब राष्ट्रपति भवन में भी हो रही है. सिर्फ संस्था ही नहीं उसकी अध्यक्ष हेमाबेन पढ़ियार और सचिव जागृतिबेन पढ़ियार की कहानी भी राष्ट्रपति तक पहुंच गई है. यही वजह है कि 26 जनवरी के मौके पर राष्ट्रपति भवन में होने वाले एक समारोह के लिए उन्हें बुलावा भी भेजा गया है. दोनों महिलाएं यहां आयोजित होने वाले एट-होम रिसेप्शन में हिस्सा लेंगी. संस्था और महिलाओं की चर्चा राष्ट्रपति भवन तक पहुंचने की वजह भी बड़ी ही दिलचस्प है. 

कहा जाता है कि इस संस्था ने नेशनल डेयरी डवलपमेंट बोर्ड (NDDB) की मदद से गोबर को रुपयों में बदलने का काम किया है. और खास बात ये है कि अब उनके इस मॉडल को एनडीडीबी के सहयोग से देशभर में अपनाया जा रहा है. जानकारों का कहना है कि इस एक मॉडल के दोहरे नहीं तीन-तीन फायदे हैं.  

ये भी पढ़ें- Stray Animal: दूध ना देने वाले पशुओं को पालने पर मिले सब्सिडी, संसद की इस कमेटी ने की मांग

हेमाबन ने बताया कैसे काम कर रहा है मॉडल 

अध्यक्ष हेमाबेन ने बताया कि ये एक बायोगैस मॉडल है. ये डेयरी क्षेत्र से जुड़ा हुआ है. ये है तो एक मॉडल, लेकिन इसके फायदे बहुत सारे हैं. जैसे खाना पकाने के लिए गैस मिल जाती है. इससे लकड़ी और एलपीजी गैस की बचत हो जाती है. वहीं प्लांट से निकली स्लरी (तरल वेस्ट) की बिक्री से इनकम हो जाती है. जैविक खाद मिलने से मिट्टी का स्वास्थ्य अच्छा रहता है. कृषि उत्पादकता में बढ़ोतरी होती है. इतना ही नहीं मीथेन उत्सर्जन कम करने में मदद करते हुए आय के नए रास्ते तैयार कर रहे हैं.

उन्होंने ये भी बताया कि NDDB के समर्थन से मार्च 2020 में गुजरात के मुजकुवा गांव में स्लरी परीक्षण सिस्टम का निर्माण करके भारत की पहली महिला-नेतृत्व वाली खाद सहकारी मंडली की स्थापना की थी. NDDB ने सहकारी मंडली को स्लरी प्रोसेसिंग सिस्टम स्थापित करने के लिए शुरुआती मदद दी थी. हालांकि इसके बाद भी समय-समय पर अपनी सलाह देने का काम जारी रखा. यही वजह है कि आज मुजकुवा और जकरियापुरा मॉडल बायोगैस प्लांट देश की महिलाओं को रास्ता दिखा रहा है. 

इस मौके पर डॉ. मीनेश शाह ने हेमाबेन पढ़ियार और जागृतिबेन पढ़ियार से मुलाकात की और उन्हें 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर राष्ट्रपति के एट-होम रिसेप्शन के लिए आए बुलावा पत्र पर बधाई दी. साथ ही कहा कि यह सम्मान उनकी लीडरशि‍श और एनडीडीबी के इन्नोवेशन से प्रेरित बायोगैस और खाद प्रबंधन में योगदान का प्रतीक है.

ये भी पढ़ें- Poultry Egg: “पांच-छह साल में हम अंडा एक्सपोर्ट को दो सौ से तीन सौ करोड़ पर ले जाएंगे”

 

MORE NEWS

Read more!