देश में पशुओं की उन सभी बड़ी बीमारियों पर कंट्रोल पाने की कोशिश चल रही है जिसके चलते एनिमल प्रोडक्ट का एक्सपोर्ट बाधित होता है. इसके लिए वैक्सीन (टीकों) की मदद ली जा रही है. इतना ही नहीं हर पल पशुओं की एक-एक गतिविधियों पर भी नजर रखी जा रही है. केन्द्र सरकार का मॉनिटरिंग सिस्टम हर सेकेंड पशुओं से जुड़ी हर छोटी-बड़ी बात को रिकॉर्ड कर रहा है. यही वजह है कि अब केन्द्र सरकार और उसका डेयरी और पशुपालन मंत्रालय इंटरनेशनल मार्केट में छाने की तैयारी कर रहा है.
डेयरी और पोल्ट्री से जुड़े प्रोडक्ट का एक्सपोर्ट बढ़ाने के लिए मंत्रालय कई अलग-अलग योजनाओं पर काम कर रहा है. कुछ योजनाएं पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चल रही हैं. कुछ योजनाएं ऐसी भी हैं जिनकी कामयाबी के संकेत मिलना शुरू हो गए हैं और जल्द ही उन्हें देशभर में लागू करने के प्लान पर काम शुरू हो जाएगा.
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हाल ही में पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी) की पशु स्वास्थ्य पर काम करने वाली समिति (ईसीएएच) की 8वीं बैठक विज्ञान भवन में आयोजित की गई थी. बैठक में भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर अजय कुमार सूद और डीएएचडी की सेक्रेटरी अलका उपाध्याय भी मौजूद थीं. इस मौके पर खासतौर से पशुओं की खतरनाक बीमारियों जैसे खुरपका-मुंहपका रोग (एफएमडी), ब्रुसेलोसिस, पेस्ट डेस पेटिट्स रूमिनेंट्स (पीपीआर) और क्लासिकल स्वाइन फीवर (सीएसएफ) पर चर्चा हुई. साथ ही बताया गया कि इन बीमारियों से निपटने के लिए देशभर में टीकाकरण कार्यक्रम एक अभियान की तरह से चल रहा है. और सबसे बड़ी बात ये है कि ये सभी देश में ही बने स्वदेशी टीके हैं. हर पशुपालक अपने पशुओं को ये सभी टीके लगवाकर उन्हें बीमारियों से मुक्त रख सके इसके लिए केन्द्र सरकार 100 फीसद बजट दे रही है. यही वो वजह भी है जो पशु स्वास्थ्य में आत्मनिर्भरता और वैश्विक सहयोग के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दिखाता है.
बैठक के दौरान सेक्रेटरी अलका उपाध्याय ने प्रोफेसर अजय कुमार सूद को राष्ट्रीय डिजिटल पशुधन मिशन (एनडीएलएम) के बारे में भी जानकारी दी. साथ ही इसकी मदद से अब तक मिली कामयाबी पर भी चर्चा की गई. उन्होंने बताया कि एनडीएलएम का मकसद देश में टीकाकरण, प्रजनन और बीमारी का इलाज समेत सभी पशुधन और पशुपालन से जुड़ी सभी तरह की गतिविधियों को डिजिटल रूप में एनडीएलएम पर दर्ज कर उनकी पहचान करना और उन्हें पंजीकृत करना है. डिजिटल प्लेटफॉर्म मौजूदा वक्त में हर एक सेकेंड में 16 से ज्यादा गतिविधियों को दर्ज कर रहा है.
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देश में नेशनल वन हेल्थ मिशन की शुरुआत हो चुकी है. प्रो. अजय कुमार सूद ने हाल ही में शुरू हुई करीब 200 करोड़ रुपये की जी-20 महामारी निधि परियोजना की सराहना की. साथ ही मानक पशु चिकित्सा उपचार दिशानिर्देश (एसवीटीजी) और संकट प्रबंधन योजना (सीएमपी) की शुरुआत के लिए बधाई भी दी. उन्हें जानकारी दी गई कि महामारी निधि परियोजना का मकसद लैब की क्षमताओं को मजबूत करना, रोग निगरानी को बढ़ाना और देश में पशु स्वास्थ्य प्रणालियों में लचीलापन बढ़ाने के लिए मानव संसाधन को मजबूत करना है. साथ ही इस पर भी चर्चा हुई कि जल्द ही देशभर में विभाग रोग प्रबंधन के लिए परिचालन तत्परता में सुधार के लिए पशु रोग प्रतिक्रिया पर केंद्रित एक मॉक ड्रिल आयोजित करेगा.
अलका उपाध्याय ने जानकारी देते हुए बताया कि देश की तीन बड़ी लैब को विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (WOAH) से मान्यता मिल चुकी है. हाल ही में ICAR-NIVEDI, बैंगलोर को PPR और लेप्टोस्पायरोसिस के लिए मान्यता मिली है. जबकि इससे पहले ICAR-NIHSAD, भोपाल (एवियन इन्फ्लूएंजा के लिए) और KVFSU, बैंगलोर (रेबीज के लिए) को पहले ही यह मान्यता मिल चुकी है. वहीं ईसीएएच ने हाल ही में जारी पोल्ट्री रोग कार्य योजना पर भी विचार-विमर्श किया, जो जैव सुरक्षा उपायों, बढ़ी हुई निगरानी और टीकाकरण के माध्यम से सक्रिय रोग प्रबंधन पर जोर देती है, जिससे भारत में पोल्ट्री आबादी और सार्वजनिक स्वास्थ्य दोनों की सुरक्षा होती है. गौरतलब रहे 2021 में स्थापित, ECAH DAHD के थिंक टैंक के रूप में कार्य करता है, जो राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों, उभरती हुई बीमारी के खतरों, वन हेल्थ पहलों और पशु चिकित्सा टीकों, दवाओं और जैविक के लिए नियामक ढांचे पर साक्ष्य-आधारित अंतर्दृष्टि और नीति सिफारिशें प्रदान करता है. बैठक के दौरान एनिमल हसबेंडरी कमिश्नर अभिजीत मित्रा भी मौजूद थे.