Agricultural status to Livestock Farming मुर्गी पालन, मछली और गाय-भैंस, भेड़-बकरी पालन करने वालों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है. अब लाइव स्टॉक (पशुपालन) को कृषि का दर्जा मिल गया है. अभी तक पशुपालन को कृषि सेक्टर वाली सुविधाएं नहीं मिलती थीं. बिजली के रेट और टैक्स भी कृषि से अलग वसूले जाते थे. लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने इस पहल पर सबसे पहले काम करते हुए पशुपालन को कृषि का दर्जा दिया है. जिसके बाद महाराष्ट्र देश में पहला राज्य बन गया है जिसने पशुपालन को कृषि का दर्जा दिया है. 11 जुलाई को महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने विधानसभा में इसे मंजूरी दे दी है. ये जानकारी पंकजा प्रज्ञा गोपीनाथ मुंडे ने विधानसभा में दी है. उन्होंने ये भी बताया कि ये फैसला राज्य के सकल उत्पादन में कृषि क्षेत्र के साथ-साथ पशुधन के योगदान को देखते हुए लिया गया है.
गौरतलब रहे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और नीति आयोग की 2021 की रिपोर्ट में पशुधन क्षेत्र में योजनाबद्ध और वैज्ञानिक पद्धतियों को अपनाने की सिफारिश की गई थी, ताकि पशुपालकों के आर्थिक जोखिम को कम किया जा सके. सरकार के इस फैसले से पशुपालकों को कृषि ऋण, ग्राम पंचायत कर में लाभ, पंजाबराव देशमुख ब्याज राहत योजना जैसी योजनाओं के तहत ब्याज दरों में रियायत और पोल्ट्री फार्मिंग, एनिमल हसबेंडरी व्यवसाय के लिए सौर पंपों व सौर ऊर्जा मशीनरी में सब्सिडी जैसे लाभ मिलेंगे.
एक बड़ा कदम उठाते हुए महाराष्ट्र सरकार ने पशुपालकों को बड़ी राहत दी है. जिसका सीधा फायदा राज्य के पशुपालक, डेयरी फार्मर, मुर्गी पालक और भेड़-बकरी के पालन में लगे किसानों को मिलेगा. मिलने वाले फायदों की बात करें तो सरकार के इस फैसले के बाद से अब पशुधन आधारित गतिविधियों को कृषि के समान माना जाएगा, जिससे पशुपालकों को कृषि शर्तों के तहत बिजली, स्थानीय निकाय कर, ऋण सब्सिडी और सौर सब्सिडी आसानी से मिल सकेगी. जानकारों की मानें तो सरकार के इस फैसले के बाद पोल्ट्री सेक्टर में (चिकन की डिमांड पूरी करने के लिए 25 हजार ब्रायलर मुर्गे, अंडे की डिमांड पूरी करने के लिए 50 हजार तक के लेयर फार्म, चूजों की डिमांड पूरी करने वाली 45 हजार की क्षमता वाली हैचरी को सरकार के इस फैसले से राहत मिलेगी.
वहीं अगर डेयरी की बात करें तो 100 पशु यानि गाय-भैंस, 500 भेड़-बकरी तक, 200 की संख्या वाले सूअर फार्म को अब उच्च "कृषि-अन्य" कैटेगिरी के बजाय कृषि बिजली दरों का फायदा मिलेगा. इतना ही नहीं कृषि क्षेत्र के समान सब्सिडी के साथ सौर पंप और सौर उपकरण स्थापित करने के भी पात्र होंगे. साथ ही पशुपालन से जुड़े किसानों को पंजाबराव देशमुख ब्याज सब्सिडी योजना की तरह किसान क्रेडिट कार्ड पर पशुपालन परियोजना ऋणों पर चार फीसद तक ब्याज में छूट मिलेगी.
पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट रनपाल ढांढा ने किसान तक को बताया कि महाराष्ट्र की सरकार ने पोल्ट्री फार्मर और पशुपालकों के हित में ये एक अच्छा कदम उठाया है. प्रोडक्शन बढ़ाने और एक्सपोर्ट के मौके तलाशने के लिए ये बहुत जरूरी है. हमारी डिमांड है कि महाराष्ट्र सरकार की तरह से देश के बाकी के राज्य भी अपने यहां पोल्ट्री और पशुपालन को कृषि का दर्जा देकर इसे बढ़ाने में सहयोग करें.
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