जिस तरह से घी में मिलावट और दूसरी तरह की हेराफेरी के मामले सामने आ रहे हैं, उसके चलते ये जरूरी हो गया है कि एक आम ग्राहक द्वारा खरीदे जा रहे घी के बारे में उसे सब कुछ पता हो. जैसे अगर घी गाय के दूध से बना है तो वो गाय किस नस्ल की है और कहां की है. उसे किस तरह से पाला गया है. यहां तक की उसकी बीमारियों और उसे लगाए गए वैक्सीन के बारे में भी. ये सब जानकारी घी के डिब्बे पर होनी चाहिए.
ग्राहकों की इसी जरूरत को पूरा करने के लिए नेशनल डेयरी डपलवमेंट बोर्ड (NDDB) की कंपनी मदर डेयरी और उत्तराखंड कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन (UCDF) ने घी लांच करने के साथ ही उसका ट्रेसेबिलिटी सिस्टम भी लांच किया है. मंगलवार को आनंद, गुजरात में NDDB के हीरक जयंती समारोह के दौरान ये घी लांच किया गया है.
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आर्टिफिशल इंटेलीजेंस एक्सपर्ट मनोज पवार ने किसान तक को बताया कि ट्रेसेबिलिटी सिस्टम आज बाजार में बिकने वाली खाने-पीने की चीजों की जरूरत है. अब ग्राहक खाने के पैकेट पर उसकी मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपायरी डेट ही नहीं देखता है. ग्राहक अब फूड प्रोडक्ट के पहले सोर्स से लेकर आखिरी सोर्स तक के बारे में सब कुछ जानना चाहता है. जैसे हम घी की ही बात करते हैं. ग्राहक जानना चाहता है कि घी किस पशु के दूध से बना है. गाय के या भैंस के या फिर भेड़-बकरी और ऊंट के दूध से.
अब वो पशु कहां का रहने वाला है. जैसे गांव, शहर, जिला और राज्य. पशु को कोई बीमारी तो नहीं है. बीमारी से बचाने के लिए पशु को कौन-कौनसी वैक्सीन लग चुकी है. पशु चारा ऑर्गेनिक खा रहा है या फिर सामान्य चारा. यहां तक की ग्राहक को ये जानकारी भी चाहिए कि जिस इलाके का पशु है वहां कब-कब और किस तरह की बीमारियां पहले फैल चुकी हैं.
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गिर गाय के दूध से बने घी को लांच करते हुए मदर डेयरी से जुड़ी अधिकारियों ने बताया कि घी के पैकेट पर एक क्यूआर कोड बना होगा. इस क्यूआर कोड को हमे अपने मोबाइल से स्कैन करना होगा. स्कैन करते ही पूरी जानकारी मोबाइल की स्क्रीन पर आ जाएगी. इसके बाद आप उस प्रोडक्ट से जुड़ी हर एक छोटी-बड़ी जानकारी को पढ़ सकते हैं.
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