National Fish Farmers Day: झींगा उत्पादन में रिकॉर्ड बनाने को हैं तैयार, पहले करने होंगे ये 10 काम 

National Fish Farmers Day: झींगा उत्पादन में रिकॉर्ड बनाने को हैं तैयार, पहले करने होंगे ये 10 काम 

Shrimp Production and Export हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और यूपी में खारे जल वाली जमीन का आंकड़ा करीब एक लाख हेक्टेयर है. चारों राज्यों के करीब 25 जिलों में ऐसी जमीन को चिन्हित किया गया है जहां झींगा उत्पादन बिना किसी परेशानी के हो सकता है. चारों राज्यों में करीब एक लाख हेक्टेयर खारी जमीन है. 

नासि‍र हुसैन
  • New Delhi,
  • Jul 10, 2025,
  • Updated Jul 10, 2025, 4:58 PM IST

Shrimp Production and Export देश का मछली उत्पादन 195 लाख टन पर पहुंच गया है. इसमे 75 फीसद की हिस्सेदारी इनलैंड फिशरीज यानि तालाब और जलाशायों आदि में मछली पालन करने वालों की है.एक्सपोर्ट की बात करें तो करीब 60 हजार करोड़ रुपये का होता है. इसमे भी 40 हजार करोड़ रुपये का तो सिर्फ झींगा ही एक्सपोर्ट हो जाता है. ये तब है जब अभी सिर्फ सबसे ज्यादा झींगा उत्पादन गुजरात, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र में हो रहा है. जबकि उत्तर भारत में भी झींगा उत्पादन बहुत अवसर हैं. क्योंकि एक सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर भारत के चार राज्यों में ऐसी जमीन और पानी है जहां झींगा उत्पादन बड़े ही आराम से किया जा सकता है. 

इसे लेकर चारों राज्यों के मछली पालक बड़ी मात्रा में झींगा उत्पादन करने को तैयार है, लेकिन उनकी डिमांड है कि केन्द्र और राज्य सरकार पहले 10 जरूरी काम कर दें तो फिर यहां बड़ी मात्रा में झींगा उत्पादन हो सकता है. जिसका बड़ा फायदा ये होगा कि झींगा का एक्सपोर्ट बढ़ जाएगा और लोगों को रोजगार भी मिलेगा.  

झींगा उत्पादकों की 10 डिमांड कौनसी हैं

हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की खारी जमीन पर झींगा पालन करने की योजना पर काम चल रहा है. केन्द्र सरकार इस प्लान में पूरी मदद कर रही है. लेकिन इससे पहले चारों राज्यों के किसानों ने कुछ मांगों को उठाया है. उनका कहना है कि झींगा की स्थापना लागत ज्यादा है, सब्सिडी कवरेज कम है, खारे पानी में जलीय कृषि के लिए प्रतिबंधात्मक दो-हेक्टेयर क्षेत्र सीमा पर विचार किया जाए, मिट्टी-पानी के खारेपन में उतार-चढ़ाव होता है, जमीन के पट्टे की दरों पर विचार हो, उच्च गुणवत्ता वाले बीज की कमी है. इसके साथ ही किसानों ने झींगा बाजार, कोल्ड स्टोरेज की सुविधाएं, सप्लाई का बुनियादी ढांचा, बढ़ती इनपुट लागत, उत्पादों के लिए कम बाजार कीमत भी बड़ी परेशानी है. किसानों का कहना है कि ये सब वो परेशानी हैं जो झींगा पालन में इंवेस्ट के बाद होने वाले रिटर्न में रोढ़ा बन रही हैं. 

नॉर्थ इंडिया के चार राज्यों में कैसे बढ़ेगा झींगा पालन 

केन्द्रीय मत्स्य पालन विभाग के साथ हुई चर्चा में किसानों ने ये भी कहाढ कि चुनौतियों से निपटने के लिए सभी चार राज्यों में झींगा पालन को मजबूत करने के लिए ज्यादा से ज्यादा केंद्रीय सहायता की जरूरत है. जलीय कृषि कार्यों के लिए इकाई लागत को बढ़ाकर 25 लाख रुपये करना, क्षेत्र सीमा को दो हेक्टेयर से बढ़ाकर पांच हेक्टेयर करना और पॉलिथीन लाइनिंग के लिए सब्सिडी बढ़ाना भी शामिल है. साथ ही सिरसा, हरियाणा में एक एकीकृत एक्वा पार्क की स्थापना और सप्लाई चैनलों में सुधार की भी सिफारिश की गई हैं. सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ ब्रैकिश वॉटर एक्वाकल्चर (सीआईबीए) की रिपोर्ट के अनुसार भारत में करीब 8.62 मिलियन हेक्टेयर अंतर्देशीय खारी मिट्टी उपलब्ध है, लेकिन सिर्फ 1.28 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में ही खेती होती है. सरकार का लक्ष्य है कि अतिरिक्त एक लाख हेक्टेयर क्षेत्र को और जलीय कृषि में शामिल किया जाए.

चार राज्यों में अभी कितना हो रहा है झींगा उत्पादन 

उत्तर भारत के पंजाब, हरियाणा, यूपी और राजस्थान को लेकर केन्द्र सरकार प्लान तैयार कर रही है. सीआईएफई, रोहतक की एक रिपोर्ट के मुताबिक कुछ तरीकों को अपनाकर हरियाणा में 2942 एकड़, पंजाब में 1200 एकड़, राजस्थान में 1000 एकड़ और उत्तर प्रदेश में 20-25 एकड़ जमीन पर खारे पानी में झींगा का उत्पादन किया जा रहा है. हरियाणा ने अपना दायरा बढ़ाते हुए 1200 एकड़ और नई जमीन पर झींगा का उत्पादन शुरू कर दिया है. 

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