Silage: ऐसे खि‍लाया तो गाय-भैंस को नुकसान पहुंचा सकता है साइलेज, कम हो जाता है दूध उत्पादन 

Silage: ऐसे खि‍लाया तो गाय-भैंस को नुकसान पहुंचा सकता है साइलेज, कम हो जाता है दूध उत्पादन 

Green Fodder Silage कभी-कभी घटिया साइलेज का इस्तेमाल डेयरी पशुओं की हैल्थ और उनके दूध-मीट उत्पादन को प्रभावित कर देता है. पंजाब के कई इलाकों में साइलेज की खराब क्वालिटी के चलते पशुओं के बीमार होने और दूध उत्पादन कम होने की खबरें लगातार आ रही हैं. इसलिए जरूरी है कि साइलेज बनाने के लिए बंकरों के डिजाइन, चारे को भूनना, उचित तरीके से दबाना, ढंकना और खुरचने समेत बनाने के तरीकों को अपनाया जाए. 

Birsa Lathyrus-1 green fodder new varietyBirsa Lathyrus-1 green fodder new variety
नासि‍र हुसैन
  • New Delhi,
  • Jul 11, 2025,
  • Updated Jul 11, 2025, 7:31 AM IST

Green Fodder Silage गुरु अंगद देव वेटरनरी और एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी (गडवासु), लुधियाना में डेयरी विभाग के डायरेक्टर डॉ. आरएस ग्रेवाल का कहना है कि पशुओं को खिलाने के लिए साइलेज में क्वालिटी का होना बहुत जरूरी है. अगर साइलेज में एक सीमा से ज्यादा फंगस या एफ्लाटॉक्सिन पाया जाता है तो ऐसे साइलेज का इस्तेमाल पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए. डॉ. ग्रेवाल ने साइलेज निर्माण के दौरान इसकी गुणवत्ता में सुधार के लिए एडिटिव्स के इस्ते्माल करने के फायदों के बारे में भी बताया. उनका कहना है कि इसका उपयोग भैंस, गाय, बकरी और भेड़ आदि सहित सभी जुगाली करने वालों के लिए किया जा सकता है. 

एक्सपर्ट का कहना है कि गाय-भैंस को हेल्दी बनाने और ज्यादा दूध लेने के लिए डेयरी फार्मिंग में दुधारू पशुओं की खुराक पर बहुत ध्यान दिया जाता है. हरे और सूखे चारे की कमी को पूरा करने के लिए ज्यादातर पशुपालक साइलेज चारे का इस्तेमाल कर रहे हैं. क्योंकि चारे की कमी के बीच दूध उत्पादन को बनाए रखना है तो साइलेज का इस्तेमाल बढ़ाना ही पड़ेगा. 

छोटे पशुपालकों को खराब साइलेज का कैसे होता है नुकसान 

पशु चिकित्सा और पशुपालन विस्तार शिक्षा के प्रमुख डॉ आर के शर्मा का कहना है कि खराब साइलेज के चलते डेयरी से जुड़े छोटे पशुपालकों के पशुओं को भी आम समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इसलिए डेयरी किसानों को चाहिए कि वो जानवरों को खिलाने से पहले अपने साइलेज की जांच करा लें. गडवासु में भी ये जांच होती है. साइलेज का नियमित परीक्षण बहुत जरूरी है.

छोटे-मध्‍यम पशुपालकों को ज्‍यादा समस्‍या

डॉ. एएस पन्नू ने कहा कि खराब साइलेज की समस्या छोटे और मध्यम पशुपालकों के साथ ज्यादा होती है. ये वो पशुपालक हैं जो छोटे पैमाने पर साइलेज का उत्पादन करते हैं या इसे खरीदकर लंबे समय तक खुले में रखते हैं. वहीं एक्सपर्ट का ये भी कहना है कि मौजूदा हरे चारे की परेशानी को देखते हुए पूरे वर्ष अच्छी गुणवत्ता वाले चारे की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए साइलेज के रूप में हरे चारे का संरक्षण करना ही एक अच्छी तकनीक मानी जाती है.

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