एक बार फिर एक और डेयरी बोर्ड की कमान नेशनल डेयरी डपलवमेंट बोर्ड (NDDB) ने अपने हाथ में ली है. इस बोर्ड को गर्दिश में से निकालकर मुनाफा देने वाला बनाने की जिम्मेदारी एनडीडीबी ने ली है. और ये बोर्ड है मणिपुर डेयरी बोर्ड. एक कार्यक्रम के तहत दो अप्रैल को आफिशियल तरीके से इसकी कमान एनडीडीबी ने ले ली है. एनडीडीबी पर जिम्मेदारी होगी कि मणिपुर दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड का प्रबंधन राज्य में सहकारी डेयरी क्षेत्र को पेशेवर बनाने में करे. इस दौरान डॉ. सब्यसाची रॉय, क्षेत्रीय प्रमुख, पूर्वी क्षेत्र, एनडीडीबी ने कहा कि एनडीडीबी श्वेत क्रांति 2.0 के तहत सहकारी कवरेज का विस्तार करेगी, प्रशिक्षण सहायता प्रदान करेगी, उत्पाद विस्तार करेगी, संयंत्र के बुनियादी ढांचे का आधुनिकीकरण करेगी और सप्लाई के विकल्प बढ़ाने का काम करेगी.
डॉ. आर.के. खोगेंद्रजीत सिंह, निदेशक (पशु चिकित्सा और एएच सेवाएं, मणिपुर) ने कहा कि यह परिवर्तन सहकारी मॉडल के माध्यम से डेयरी विकास को मजबूत करेगा. इस मौके पर सभी उपस्थित लोगों ने कहा कि ये समझौता किसानों की रोजमर्रा की जिंदगी में बदलाव लाएगा. वहीं उपभोक्ताओं के लिए क्वालिटी वाले डेयरी प्रोडक्ट सुनिश्चित करेगा.
डेयरी एक्सपर्ट का कहना है कि व्हाइट रिवॉल्यूशन-2 का मकसद डेयरी पशुओं की उत्पादकता बढ़ाना है, जो इस क्षेत्र के लिए एक बड़ी चुनौती है. कृत्रिम गर्भाधान और जीनोमिक चयन जैसी उन्नत प्रजनन तकनीकों के साथ-साथ बेहतर पशु पोषण के माध्यम से हम डिमांड और सप्लाई के बीच के अंतर को स्थायी रूप से खत्म करने की उम्मीद कर रहे हैं. पशुओं के लिए उच्च गुणवत्ता वाले चारे और स्वास्थ्य सेवा तक बेहतर पहुंच सीधे दूध की पैदावार और गुणवत्ता दोनों को बढ़ाएगी.
आज की तेज़ी से विकसित होती दुनिया में डेयरी फार्मिंग में डिजिटल इन्नोवेशन को एकीकृत करना जरूरी है. डेटा एनालिटिक्स, मोबाइल स्वास्थ्य निगरानी ऐप और एआई-संचालित कृषि प्रबंधन समाधान जैसी तकनीकें किसानों के संचालन को आधुनिक बनाने के लिए तैयार हैं. ये उपकरण किसानों को निर्णय लेने में सक्षम बनाएंगे, जिससे उत्पादकता और मुनाफा दोनों में सुधार होगा.
स्थायित्व व्हाइट रिवॉल्यूशन -2 का एक मुख्य पिलर है. जलवायु परिवर्तन कृषि और डेयरी के लिए एक बड़ा जोखिम है. मीथेन उत्सर्जन जैसे मुद्दे, पानी की खपत को कम करना और एनवायरनमेंट के साथ मैनेज करते हुए कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण कदम हैं. जैविक चारा उत्पादन को प्रोत्साहित करना और वेस्ट मैनेजमेंट प्रणालियों में सुधार करना न केवल पर्यावरण की रक्षा करने में मदद करेगा, बल्कि किसानों के लिए इनकम के नए रास्ते भी खोलेगा.
व्हाइट रिवॉल्यूशन-2 का प्रमुख जोर किसान सशक्तिकरण पर है, खासतौर से महिलाओं के बीच, जो भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का अभिन्न अंग हैं. सहकारी समितियों को मजबूत करना, वित्तीय समावेशन का विस्तार करना, प्रशिक्षण और बुनियादी ढांचे तक पहुंच सुनिश्चित करना किसानों को फलने-फूलने में सक्षम बनाएगा. पनीर, दही और फोर्टिफाइड दूध जैसे वैल्यू एडेड डेयरी उत्पादों को बढ़ावा देने से घरेलू और इंटरनेशनल स्तर पर नए बाजार के अवसर पैदा होंगे.
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