दुधारू पशुओं में कीड़ों की समस्या एक गंभीर मुद्दा है, जो उनके स्वास्थ्य और प्रजनन क्षमता पर गहरा प्रभाव डाल सकती है. इस विषय पर एनिमल एक्सपर्ट डॉक्टर दुष्यंत ने किसान तक के साथ खास बातचीत में महत्वपूर्ण जानकारी साझा की. उन्होंने बताया कि कीड़ों की समस्या से बचने के लिए सही समय पर दवा देना और सावधानियां बरतना कितना जरूरी है. डॉक्टर दुष्यंत ने बताया कि कीड़े मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं. पहले- पेट के अंदर रहने वाले परजीवी और दूसर- शरीर के बाहर लगने वाले परजीवी.
पेट के कीड़े पशु के पाचन तंत्र को प्रभावित करते हैं और उनके द्वारा खाए गए भोजन के पोषक तत्वों को नष्ट कर देते हैं. इससे पशु की प्रजनन क्षमता और स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. उन्होंने कहा, "पेट के कीड़े मिनरल्स और विटामिन्स को खा जाते हैं, जिससे पशु का प्रजनन गड़बड़ हो सकता है."
कीड़ों की समस्या से बचने के लिए डॉक्टर दुष्यंत ने तीन महीने के अंतराल पर दवा देने की सलाह दी. उन्होंने कहा, "तीन महीने पर कीड़ों की दवा देना सबसे बेहतर होता है. छह महीने से ज्यादा का अंतराल नहीं होना चाहिए." उन्होंने यह भी बताया कि दवाइयों को बदल-बदल कर देना चाहिए, ताकि कीड़ों में प्रतिरोधक क्षमता विकसित न हो. उन्होंने एल्बेंडाजोल, फैबेंडाजोल और आइवेरमेक्टिन जैसी दवाइयों का इस्तेमाल करने की सलाह दी. साथ ही, उन्होंने लिवर टॉनिक का उपयोग करने की भी सिफारिश की, ताकि दवा के प्रभाव से लिवर को नुकसान न पहुंचे.
पशुओं में कीड़ों की पहचान के लिए डॉक्टर दुष्यंत ने कुछ सामान्य लक्षण बताए. उन्होंने कहा, "अगर पशु की आंखों से आंसू आने लगें, स्किन रफ हो जाए, गोबर में बदबू आए या डायरिया हो, तो यह संकेत हो सकता है कि पेट में कीड़े हैं." उन्होंने यह भी बताया कि छोटे पशुओं में राउंड वर्म गोबर में दिखाई दे सकते हैं.
सर्दियों में ओस के कारण कीड़ों का खतरा बढ़ जाता है. डॉक्टर दुष्यंत ने कहा, "सुबह के समय जब तक धूप न हो जाए, पशुओं को चरने के लिए न भेजें. ओस के कारण घास पर कीड़ों के लार्वा आ जाते हैं, जो पशुओं के लिए हानिकारक हो सकते हैं." उन्होंने सर्दियों में विशेष सावधानी बरतने और मानसून के बाद डीवर्मिंग करने की सलाह दी.
डॉक्टर दुष्यंत ने कीड़ों की समस्या से बचने के लिए दवाइयों के सही उपयोग और समय पर ध्यान देने की जरूरत पर बल दिया. पशुपालकों को चाहिए कि वे इन सुझावों का पालन करें और अपने पशुओं के स्वास्थ्य का ध्यान रखें.