Fish Care: सर्दी में मछलियों को बहुत होती है बीमारी, एक्सपर्ट के ये टिप्स अपनाए तो खूब होगा प्रोडक्शन

Fish Care: सर्दी में मछलियों को बहुत होती है बीमारी, एक्सपर्ट के ये टिप्स अपनाए तो खूब होगा प्रोडक्शन

Fish Care in Winter गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनीमल साइंस यूनिवर्सिटी (Gadvasu), लुधियाना में कॉलेज ऑफ फिशरीज की डीन डॉ. मीरा डी. अंसल का कहना है कि सर्दी के मौसम में मछलियों को बीमारियों से बचाने के लिए उनके खानपान में बदलाव जरूर करें. तालाब की साफ-सफाई भी करते रहें.

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नासि‍र हुसैन
  • New Delhi,
  • Oct 21, 2025,
  • Updated Oct 21, 2025, 12:31 PM IST

Fish Care in Winter फिशरीज एक्सपर्ट की मानें तो मछलियों के लिए फीड से ज्यादा महत्व साफ और स्वच्छ पानी का है. इतना ही नहीं, ये भी बहुत मायने रखता है कि मौसम के हिसाब से तालाब का पानी गर्म है या ठंडा. क्योंकि ऐसा कतई नहीं है कि मछलियां पानी में रहती हैं तो सर्दियों के मौसम में उन्हें ठंड नहीं लगती होगी. बेशक किताबों में बताया गया है कि मछली जल की रानी है, जीवन उसका पानी है. लेकिन एक हकीकत ये भी है कि इसी पानी में मछली बीमार होती हैं. तालाब का पानी मौसम के मुताबिक ज्यादा ठंडा या गर्म हो जाता है तो मछली बीमार पड़ने लगती हैं. 

यही वजह है कि एक्सपर्ट मौसम बदलने के साथ ही पानी के तापमान में होने वाले बदलाव को देखते हुए ट्रीटमेंट के टिप्स देते हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि मछली ठंडे खून वाला जीव है इसलिए सर्दियों के मौसम में उसे ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है. फिश एक्सपर्ट की मानें तो इस मौसम में सुबह-शाम पानी का तापमान चेक करते रहना चाहिए. साथ ही आक्सीजन की मात्रा को भी चेक करते हैं.  

तालाब में 6 फीट रखें पानी की गहराई

डीन डॉ. मीरा का कहना है कि सर्दियों के दौरान किसानों को तालाब के पानी की गहराई छह फीट तक रखनी चाहिए. जिससे मछलियों को गर्म वातावरण में रहने के लिए ज्यादा जगह मिल सकेगी. इतना ही नहीं तालाब के नीचे के हिस्से और सतह के पानी को गर्म रखने के लिए शाम के समय ट्यूबवेल का पानी तालाब में जरूरत मिलाएं. खासकर जब तालाब के पानी का तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से नीचे हो. और एक खास बात ये कि अगर तालाब के आसपास पेड़ हों तो सर्दियों के दौरान उन्हें काट दें. ऐसा इसलिए किया जाता है जिससे सीधी धूप तालाब पर पड़ सके और पत्तियां भी तालाब में न गिरें. पत्तीा गिरने से पानी की गुणवत्ता खराब हो सकती है. 

तालाब में आक्सीजन कम हो तो अपनाएं ये उपाय

डॉ. मीरा ने बताया कि सर्दियों के दिन एक तो छोटे होते हैं और ऊपर से उस दौरान सूरज की रोशनी भी इतनी नहीं आती है जितनी गर्मियों में आती है. यही वजह है कि खराब रोशनी की वजह से तालाब के पानी में आक्सीजन की मात्रा कम होने लगती है. लगातार बादल छाए रहने से तो हालात और भी खराब हो जाती है. इसलिए ऐसे वक्त में मछली पालकों का काम थोड़ा बढ़ जाता है. ऐसे में तालाब में आक्सीजन की मात्रा बढ़ाने के लिए पम्प का ताजा पानी तालाब में मिला दें या फिर तालाब में एरेटर का इस्तेमाल करें. सुबह के वक्त एरेटर का इस्तेपमाल जरूर करें. सर्दियों में लगातार बादल छाए रहने के दौरान पानी में पीएच की स्तर की भी नियमित निगरानी करनी चाहिए. अगर तालाब के पानी का पीएच 7.0 से नीचे चला जाए तो फौरन ही दो किश्तों में 100 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से तालाब में चूना डाल दें. 

तापमान कम होते ही बदल दें मछलियों की खुराक 

डीन डॉ. मीरा का कहना है कि जैसे ही ये पता चले कि इस मौसम में तापमान लगातार कम हो रहा है तो मछलियों की खुराक भी कम कर दें. क्योंकि घटते तापमान के साथ ही मछलियों की खुराक भी कम हो जाती है. इसलिए एक बार में तो नहीं, लेकिन धीरे-धीरे मछलियों की खुराक को 25 से 75 फीसद तक कम कर दें. और आखिर में जब पानी का तापमान 10 डिग्री से नीचे चला जाए तो खुराक को बिल्कुल ही बंद कर दें. असल में होता ये है कि जो दाना हम तालाब में मछलियों के लिए डालते हैं वो पानी में बचता जरूरत है. क्योंकि सर्दी में मछलियां पूरा दाना नहीं खा पाती हैं. और यही बचा हुआ दाना तालाब की तली में जमा होकर गंदगी फैलाता है. 

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