Animal Diet: ऐसी होनी चाहिए गाय-भैंस की चारा-मिनरल्स वाली रोजाना की खुराक, देंगी ज्यादा दूध 

Animal Diet: ऐसी होनी चाहिए गाय-भैंस की चारा-मिनरल्स वाली रोजाना की खुराक, देंगी ज्यादा दूध 

Animal Diet for Milking बीमार होने के चलते गाय-भैंस के दूध का उत्पादन कम हो जाता है. इतना ही नहीं अगर पशु की खुराक में कहीं कोई कमी रह जाती है या महंगाई के चलते पशुपालक कुछ लापरवाही बरतते हैं तो उसके चलते भी दूध उत्पादन कम हो जाता है. इसीलिए एनिमल न्यूट्रिशन एक्सपर्ट ने दूध देने वाले पशुओं की खुराक उनके उत्पादन और अवस्था के हिसाब से तय की है. 

Representational ImageRepresentational Image
नासि‍र हुसैन
  • Delhi,
  • Oct 20, 2025,
  • Updated Oct 20, 2025, 1:25 PM IST

Animal Diet for Milking जो भेड़-बकरी पालते हैं वो भी और जो बड़े पशु जैसे गाय-भैंस पालते हैं उनका भी मकसद सिर्फ एक यही होता है कि उनका पशु ज्यादा से ज्यादा दूध दे. ज्यादा दूध देगा तो ज्यादा मुनाफा होगा. इतना ही नहीं ज्यादा दूध के साथ दूध में फैट की मात्रा भी ज्यादा हो. क्योंकि फैट की मात्रा ज्यादा होगा तो दूध के दाम भी अच्छे मिलेंगे. लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि पशु अच्छी खासी फैट वाला ज्यादा दूध देते हुए दूध का उत्पादन कम होने लगता है. और ऐसे में कम दूध का उत्पादन पशुपालक को परेशान कर देता है. अगर एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो दूध उत्पादन कम होने के पीछे कई सारी वजह होती हैं.

इसमे एक बड़ी वजह पशुओं का बीमार होना भी है. और दूसरी सबसे बड़ी वजह है कि पशुओं की खुराक. मतलब उत्पादन करने वाले पशुओं को उनकी जरूरत के मुताबिक खुराक का न मिलना. पशु के बच्चे से लेकर बड़े पशु और उत्पादन देने वाले पशु सबके लिए अलग-अलग खुराक होती है. यहां तक की सांड (बुल) के लिए भी खुराक तय है. अगर तय खुराक के मुताबिक पशुओं को चारा दिया जा रहा है तो वो उत्पादन भी ज्यादा देंगे और हेल्दी भी रहेंगे.

काम की हैं पशुओं की खुराक से जुड़ी ये बातें 

एनिमल न्यूट्रिशन एक्सपर्ट डॉ. दिनेश भोंसले का कहना है कि गाय-भैंस हो या फिर भेड़-बकरी, सभी से ज्यादा और अच्छा दूध लेने के लिए जरूरी है कि उसका खानपान भी अच्छा हो, पशु की नस्ल अच्छी हो जिससे जब उसका बछड़ा हो तो उसकी ग्रोथ अच्छी हो और उत्पादन ज्यादा दे. लेकिन बड़े अफसोस की बात है कि हमारा पूरा ध्यान दूध उत्पादन पर ही रहता है, पशुओं के खानपान पर हम ध्यान नहीं देते हैं. जबकि सामान्या नियम भी ये है कि गाय-भैंस को कम से कम 10 किलो हरा चारा, पांच किलो सूखा चारा जरूर देना चाहिए. जब इतना खिलाएंगे तभी वो ठीक से दूध भी देगी. इतना ही नहीं अगर गाय-भैंस पांच किलो दूध देती है तो उसे कम से कम 2.5 किलो मिनरल मिक्चर भी खिलाना होगा. 

खुराक ही नहीं नस्ल सुधार पर भी देना होगा ध्यान  

डॉ. दिनेश का कहना है कि आज हमारे देश में पशुओं की नस्ल सुधार के लिए सेक्स सॉर्टेड सीमेन जैसी तकनीक है. इसकी मदद से हम पशु से हर बार बछिया ले सकते हैं. आज देशभर में सीमेन बैंक भी हैं.  आईवीएफ की मदद से उच्च गुणवत्ता वाले सीमेन का फायदा लेकर अच्छे बछड़े तैयार किए जा सकते हैं. हर राज्य और शहर में सरकारी-प्राइवेट सीमेन सेंटर हैं. सरकारी सेंटर पर तो बहुत ही कम रेट पर अच्छी क्वालिटी का सीमेन मिल जाता है. अब तो बुलावे पर घर-गांव में आकर भी पैरा वैट आर्टिफिशल इंसेमीनेशन तकनीक से पशु को गाभिन करने आते हैं.   

ये भी पढ़ें- Poultry Feed: पोल्ट्री फार्मर का बड़ा सवाल, विकसित भारत में मुर्गियों को फीड कैसे मिलेगा

ये भी पढ़ें- Poultry Board: पशुपालन मंत्री और PFI ने पोल्ट्री फार्मर के लिए की दो बड़ी घोषणाएं, पढ़ें डिटेल 

MORE NEWS

Read more!