Calf Care: इस महीने पैदा हो रहे बछड़ों की देखभाल संग ऐसी होनी चाहिए खुराक, पढ़ें डिटेल 

Calf Care: इस महीने पैदा हो रहे बछड़ों की देखभाल संग ऐसी होनी चाहिए खुराक, पढ़ें डिटेल 

Calf Care in Winter गाय-भैंस के बच्चे को लेकर पशुपालक इसलिए भी उत्साहित रहते हैं, क्योंकि बछिया है तो बड़े होकर दूध देगी और अगर मेल है तो एक साल का होने पर कभी भी बेचकर नकद कमाई की जा सकती है. खूब अच्छा खि‍ला-पिलाकर ब्रीडिंग बुल भी बनाया जा सकता है. इसी सब के चलते ही बछड़ों की खास तरह से देखभाल बहुत जरूरी हो जाती है. 

India First IVF CalfIndia First IVF Calf
  • Delhi,
  • Oct 20, 2025,
  • Updated Oct 20, 2025, 4:31 PM IST

Calf Care in Winter बछड़ा गाय का हो या भैंस का जन्म के फौरन बाद ही कुछ दिन तक उसे खीस (कोलोस्ट्रम) पिलाने के लिए कहा जाता है. खीस जन्म के तीन-चार दिन तक बड़े ही आराम से पिलाई जाती है. लेकिन खुराक संबंधी असल परेशानी तीन-चार दिन बाद ही सामने आती है. पशुपालक की सबसे बड़ी परेशानी यही होती है कि वो चार से छह दिन पहले जन्मे नवजात बछड़े को क्या खि‍लाए. किसी भी मौसम में पानी कितना और कैसे पिलाया जाए. सर्दी का मौसम हो तो पानी पिलाने के बारे में और ज्यादा ख्याल रखने की जरूरत होती है. बछड़े के जन्म संबंधी बात यहीं खत्म नहीं होती है, जन्म के बाद बछड़े की देखभाल कैसे की जाए इसे लेकर भी पशुपालक खासे परेशान रहते हैं. 

ज्यादातर मामलों में बछड़ों की मौत जन्म के फौरन या 20-25 दिन में हो जाती है. इसी को रोकने और कम करने के लिए एनिमल एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि जन्म के बाद से करीब दो-तीन महीने तक बछड़ों का खाने-पीने से लेकर रखरखाव तक में खास ख्याल रखना चाहिए. क्योंकि पशुपालन में बछड़े को बड़े मुनाफे के तौर पर देखा जाता है. 

जन्म के फौरन बाद ऐसे करें खुराक-देखभाल तक का इंतजाम 

  • जन्म के फौरन बाद नवजात बछड़े को साफ कपड़े से पोछकर साफ कर दें. 
  • बछड़े को सांस दिलाने में मदद करें. 
  • बछड़े की नाल को स्टेरलाइज़्ड कैंची या ब्लेड से काट दें. 
  • नाल के कटे हुए हिस्से पर टिंचर आयोडीन या एंटीसेप्टिक क्रीम लगा दें. 
  • जन्म लेने के एक-दो घंटे के अंदर बछड़े को कोलोस्ट्रम पिलाएं. 
  • कोलोस्ट्रम इम्युनोग्लोबुलिन से भरपूर होता है.
  • कोलोस्ट्रम पिलाने से बछड़े की रोग प्रतिरक्षा बढ़ती है. 
  • कोलोस्ट्रम में खनिज और विटामिन भरपूर मात्रा में होते हैं. 
  • कोलोस्ट्रम में रेचक गुण होने से पहला मल-मूत्र आसानी से हो जाता है. 
  • पशु को 10 दिन की उम्र में पेट के कीड़े की दवाई खि‍लाएं. 
  • 21 दिन बाद फिर से पेट के कीड़े की दवाई दें. 
  • जन्म के समय बछड़े का वजन 30 किलोग्राम होना चाहिए. 
  • सुबह-शाम 1.5-1.5 किलोग्राम कोलोस्ट्रम पिलाना चाहिए. 
  • 15 दिनों के बाद बछड़े को सूखा चारा और मिश्रण खाने को दें. 
  • हर सात दिन बाद मिश्रण को 50-100 ग्राम तक बढ़ाया जा सकता है.
  • तीन महीने की उम्र में बछड़े को हरा रेशेदार चारा खाने में दें. 
  •  अगर बछड़े में अतिरिक्त थन है तो उसे बचपन में ही काट दें. 
  • दस्त से पीड़ित बछड़ों को दूध पिलाने के 2 घंटे बाद इलेक्ट्रोलाइट्स खाने में दें. 
  • इलेक्ट्रोलाइट्स में खनिज, ऊर्जा और प्रोटीन भरपूर मात्रा में होते हैं.  

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