मछली जल की रानी है, जीवन उसका पानी है. शायद ही कोई होगा जिसने स्कूल में ये लाइनें न पढ़ी हों. लेकिन कई बार यही पानी मछलियों के लिए जानलेवा हो जाता है. इसी पानी में रहकर मछलियां दम तोड़ने लगती हैं. पानी के दूषित होने पर मछलियां बीमार पड़ने लगती हैं. अक्सर तालाब में पाली जाने वाली मछलियां पानी की वजह से ही बीमार होती हैं. कई बार तो जो फीड हम मछलियों को खाने के लिए देते हैं वो भी उनकी बीमारी का कारण बन जाता है. लेकिन फिशरीज एक्सपर्ट की मानें तो तालाब में पल रहीं मछलियां बीमार हैं या नहीं इसकी पहचान बड़ी ही आसानी से की जा सकती है.
खास बात ये है कि मछली की बीमारी की पहचान मछली की एक-एक हरकत बता देती है. इसलिए जरूरी है कि मछली पालन के दौरान तालाब पर पैनी नजर रखी जाए. क्योंकि जरा सा भी बीमार होने पर मछलियों की दिनचर्या बदल जाती है. मछलियां तालाब के बीच में, किनारे पर और तली में जाकर अपनी हर एक हरकत से बीमार होने का इशारा देती हैं.
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मछली पालन से जुड़ा कारोबार पूरी तरह से मछलियों की ग्रोथ पर टिका होता है. मछली जितनी मोटी-ताजी होगी उसका रेट उतना ही ज्यादा मिलेगा. लेकिन तालाब में आने वाली छोटी से छोटी बीमारी भी सबसे पहले मछलियों की ग्रोथ को रोक देती है. इसलिए वक्त रहते मछलियों की बीमारी को पकड़ना बहुत जरूरी है.
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