बिहार में मांसाहारी व्यंजनों में मछली का जबर्दस्त क्रेज है. यही मछली इन दिनों राज्य के युवाओं के लिए आर्थिक समृद्धि का भी माध्यम बन रही है. कई युवा अच्छी-खासी सैलरी वाली नौकरियाँ छोड़कर मछली पालन, डेयरी, बकरी पालन और कृषि के क्षेत्र में अलग-अलग तरह के प्रयास कर रहे हैं. ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी बिहार की राजधानी पटना से करीब 400 किलोमीटर दूर किशनगंज जिले के कोचादामन प्रखंड के अल्ता गाँव के मुजफ्फर कमाल सबा की है.
सबा ने सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में काम किया, लेकिन पिछले पाँच वर्षों से वे मछली पालन और इंटीग्रेटेड फार्मिंग कर रहे हैं. इससे उनकी सालाना कमाई करीब 18 लाख रुपये तक पहुँच चुकी है. उनका मानना है कि मछली पालन और खेती एक उस तरह का व्यवसाय है, जिसे आधुनिक तकनीकों के साथ अपनाया जाना चाहिए. वे कहते हैं, "आप किसी बड़ी कंपनी में अच्छी सेलरी वाली नौकरी कर सकते हैं, लेकिन स्वाभिमान के साथ काम करना खेती और पशुपालन में ही संभव है.
"किसान तक" से बातचीत में सबा ने बताया कि बीटेक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने दिल्ली और बेंगलुरू में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर काम किया. लेकिन कोविड-19 के दौरान उनके पिता की तबीयत बिगड़ने के कारण वे गाँव लौट आए. इसी दौरान उन्हें सरकार द्वारा मछली पालन से जुड़ी योजनाओं की जानकारी मिली. इसके बाद उन्होंने अपनी 2 एकड़ पुश्तैनी जमीन पर चल रहे मछली पालन को बढ़ाने का फैसला किया, जो अब बढ़कर 25 एकड़ तक पहुँच गया है. इसके अलावा वे मछली का जीरा (बच्चे) भी तैयार कर रहे हैं.
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मुजफ्फर कमाल सबा अपनी 25 एकड़ में खुद की और किराए की जमीन पर मछली पालन कर रहे हैं. इस क्षेत्र में बने तालाबों से वे सालाना 150 क्विंटल से अधिक मछली का उत्पादन कर रहे हैं, जिसे 130 से 150 रुपये प्रति किलो के भाव से बाजार में बेचते हैं. उनका तालाब देसी मछलियों के पालन के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें रोहू, कतला समेत अन्य प्रजातियाँ शामिल हैं. फार्म के देखरेख के लिए उन्होंने पाँच लोगों को नौकरी दी है, जिनमें से फार्म मैनेजर को सबसे अधिक 17,000 रुपये मासिक वेतन दिया जाता है.
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सबा इंटीग्रेटेड फार्मिंग के तहत केवल मछली पालन ही नहीं, बल्कि डेयरी और बकरी पालन भी कर रहे हैं. उनके पास 10 गायें हैं, जिनसे रोजाना करीब 55 लीटर दूध का उत्पादन होता है. यह दूध वे घर बैठे ही 60 रुपये प्रति लीटर की दर से बेचते है. इसके अलावा, वे बकरी पालन, पोल्ट्री फार्मिंग, बत्तख पालन और सब्जी की खेती भी कर रहे हैं, जिससे उनकी महीने की अतिरिक्त कमाई 1 से 1.5 लाख रुपये तक हो जाती है. सबा की यह सफलता साबित करती है कि अगर सही योजना और मेहनत के साथ कृषि और पशुपालन को अपनाया जाए, तो यह किसी भी उच्च वेतन वाली नौकरी से कम नहीं है.