Meat Sale Calendar: चिकन से मटन तक, कब बिकेगा और कब नहीं, सरकार तय करे तारीख! जानिए क्या है मामला

Meat Sale Calendar: चिकन से मटन तक, कब बिकेगा और कब नहीं, सरकार तय करे तारीख! जानिए क्या है मामला

Meat Sale Ban Issue: पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया (PFI) का कहना है कि किसी भी त्यौहार और धार्मिक आयोजन के मौके पर स्थानीय पुलिस-प्रशासन का आदेश आते ही शहरभर की मीट-चिकन की दुकानें बंद करा दी जाती हैं. जिसके चलते करोड़ों रुपये का कारोबार एक झटके में थम जाता है. दिहाड़ी लेबर से लेकर कारोबारी तक को नुकसान उठाना पड़ता है. वहीं करोड़ों रुपये का लेनदेन न होने के चलते सरकार को भी रेवेन्यू का नुकसान उठाना पड़ता है. 

नासि‍र हुसैन
  • New Delhi,
  • Aug 13, 2025,
  • Updated Aug 13, 2025, 11:16 AM IST

Meat Sale Ban Issue: त्यौहारों और धार्मिक आयोजनों के चलते अक्सर पूरे राज्य में मीट-चिकन की बिक्री बंद कर दी जाती है. जबकि आयोजन किसी एक खास या दो-तीन शहरों में ही हो रहा होता है. इसी तरह किसी एक खास क्षेत्र में होने वाले आयोजन के चलते पूरे शहर में मीट की दुकानें बंद करा दी जाती हैं. जबकि ऐसा करने से लाखों लोग परेशान होते हैं. चिकन के साथ और भी कई तरह के मजदूर और कारोबारी जुड़े हुए हैं. बिक्री बंद होने से उन्हें भी नुकसान उठाना पड़ता है. अगर केन्द्र सरकार इस मामले में राज्यों को मीट बिक्री का कैलेंडर बनाने की एडवाइजरी जारी कर दे तो चिकन कारोबार से होने वाले रेवेन्यू का उसे भी नुकसान नहीं होगा. 

पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया ने केंद्र सरकार से यह मांग की है. फेडरेशन ने पशुपालन मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल को पत्र ल‍िखकर कहा है क‍ि जहां धार्म‍िक आयोजन हो वहीं बिक्री रोकनी चाहिए. मीट ब‍िक्री का एक कैलेंडर बना द‍िया जाए, ज‍िससे मीट ब‍िक्री को लेकर होने वाले व‍िवाद खत्म हो जाएं और ब‍िजनेस को नुकसान न हो. 

दुकान बंदी का आदेश आते ही क्या होता है? 

  • लोकल बाजार में चिकन-मटन बेचने की दुकान बंद हो जाती है. 
  • बंदी के चलते रिटेलर मुर्गा खरीदने थोक बाजार नहीं जाते हैं. 
  • थोक बाजार में मुर्गे की बिक्री नहीं होती है तो फार्म से भी नहीं आता है.
  • 30-35 दिन में तैयार होने वाला मुर्गा बंदी के चलते ओवर वेट होने लगता है. 
  • मुर्गा रुकने के चलते फीड की लागत बढ़ने लगती है.  
  • ओवर वेट होने के चलते मुर्गे की क्वालिटी और रेट दोनों ही कम हो जाते हैं. 
  • मंडी-रिटेल दुकान पर बंदी वाले दिन दिहाड़ी मजदूर को मजदूरी नहीं मिलती है.

PFI ने केंद्र सरकार से क्या मांग की है?

  • PFI के प्रेसिडेंट रनपाल ढांढा ने केन्द्रीय पशुपालन मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल से मांग की है. 
  • केन्द्र सरकार राज्यों को मीट बिक्री का कैलेंडर बनाने की एडवाइजरी जारी करे. 
  • किस त्यौहार और धार्मिक आयोजन पर मीट की बिक्री नहीं होगी उसका कैलेंडर बनाया जाए. 
  • मीट की दुकान बंदी की सूचना तीन महीने पहले दी जाए. 
  • ऐसे शहर और स्थानों की पहचान की जाए जहां आयोजन होते हैं. 
  • शहर और स्थान चिन्हित कर सार्वजनिक सूचना दी जाए जहां बंदी रहेगी.
  • फैसला लेने वाली कमेटी में पीएफआई का एक सदस्य शामिल किया जाए.  
  • कांवड़ यात्रा के रूट पर ही मीट बिक्री बैन की जाए, न की पूरे शहर या प्रदेश में. 
  • सावन में पूजा के दिन सिर्फ मंदिरों के आसपास बिक्री बैन की जाए. 
  • जिस रूट से जुलूस निकलना है सिर्फ वहीं बिक्री बैन की जाए. 

PFI ने और कौन-कौन से पॉइंट उठाए हैं? 

  • मुर्गी पालन में तय वक्त के बाद बर्ड जल्द खराब होने लगती हैं. 
  • बंदी से दिहाड़ी मज़दूर, ट्रांसपोर्टर, होलसेल-रिटेल दुकानों के कर्मचारियों को नुकसान होता है. 
  • हैचरी और सोयाबीन-मक्का के फीड प्लांट को नुकसान उठाना पड़ता है. 
  • कोल्ड स्टोरेज और प्रोसेसिंग यूनिट को नुकसान उठाना पड़ता है. 

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