Goat-Sheep Disease Vaccine पेस्ट डेस पेटिट्स रूमिनेंट्स (PPR) और शीप पॉक्स भेड़ों के लिए जानलेवा बीमारी है. ये बीमारी खासतौर पर बरसात के दिनों में ज्यादा असर दिखाती है. एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि अभी इन बीमारियों का इलाज नहीं है. सिर्फ वैक्सीन (टीके) से ही इसकी रोकथाम की जाती है. कुछ वक्त पहले तक दोनों बीमारियों से बचाने के लिए दो अलग-अलग टीके लगवाने पड़ते थे. जिस पर वक्त और पैसों दोनों ही ज्यादा खर्च होते थे. साथ ही पीडि़त पशु तनाव में भी रहता है. लेकिन अब सिर्फ एक टीके से दोनों बीमारियों की रोकथाम की जा रही है.
क्या हैं पीपीआर और शीप पॉक्स बीमारी?
- पेस्ट डेस पेटिट्स रूमिनेंट्स बीमारी भेड़ और बकरियों दोनों को होती है.
- शीप पॉक्स बीमारी बकरियों को गोट पॉक्स नाम से होती है.
- आईवीआरआई डॉयरेक्टर का कहना है कि पीपीआर, शीप पॉक्स विषाणु जनित खतरनाक बीमारी हैं.
- पीपीआर और शीप पॉक्स चलते छोटे जुगाली करने वाले पशुओं की मौत हो जाती है.
- भेड़-बकरियों को पीपीआर और शीप-गोट पॉक्स का टीका नहीं लगवाने से मौत भी हो जाती है.
- एक हफ्ते तक अगर टीका नहीं लगवाया जाता है तो भेड़ों की मौत तक हो जाती है.
भेड़-बकरियों में कैसे फैलती है पीपीआर बीमारी?
- पीपीआर को बकरी का प्लेग के नाम से भी जाना जाता है.
- किसी एक को होने पर ये तेजी से दूसरे बकरे-बकरी को भी अपनी चपेट में ले लेती है.
- यह वायरस सांस की लार, नाक से निकलने वाला स्राव और दूषित उपकरणों के जरिए फैलता है.
- बीमारी की चपेट में आते ही भेड़-बकरी सुस्त और कमजोर हो जाते हैं.
- पीडि़त पशु खाने से मुंह फेरने लगता है, आंखे लाल, आंख, मुंह और नाक से पानी बहता है.
- बुखार कम होते ही मुंह के अन्दर मसूड़ों और जीभ पर लाल-लाल दाने फूटकर घाव बनने लगते हैं.
- वक्त के साथ घाव सड़ने लगते हैं, आंखों में कीचड़ पड़ने लगता है.
- तेज बदबूदार खून और आंव के साथ दस्त लग जाते हैं.
- कई बार तो बकरी और भेड़ का गर्भ तक गिर जाता है.
- वक्त से टीकाकरण नहीं कराना जानलेवा हो जाता है.
- लगातार दस्त होने और घावों में सड़न बढ़ने से पशु की मौत हो जाती है.
पीपीआर से भेड़-बकरी को कैसे बचा सकते हैं?
- पीपीआर से भेड़-बकरियों को बचाने के लिए टीकाकरण कराना जरूरी है.
- आईवीआरआई की रिसर्च से एक टीके से ही पीपीआर-शीप पॉक्स की रोकथाम हो जाएगी.
- जैसे ही भेड़-बकरी में पीपीआर के लक्षण दिखाई दें तो उसे शेड से अलग कर दें.
- पीडि़त भेड़-बकरी को हेल्दी पशुओं के साथ कभी ना रखें. पीडि़त पशु को पानी खूब पिलाएं.
ये भी पढ़ें-Egg Export: अमेरिका ने भारतीय अंडों पर उठाए गंभीर सवाल, कहा-इंसानों के खाने लायक नहीं...
ये भी पढ़ें-Milk Growth: दूध का फ्रॉड रोकने को गाय-भैंस के खरीदार करा रहे डोप टेस्ट, पढ़ें डिटेल