अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव धीरे-धीरे अब हर क्षेत्र में दिखने लगे हैं. हाल ही में आंध्र प्रदेश को भी झींगा निर्यात पर हजारों करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ा है. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने इसको लेकर बताया कि राज्य के झींगा निर्यात पर अमेरिकी टैरिफ की वजह से 25,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. इतना ही नहीं, उन्होंने कहा कि इस कारण 50 प्रतिशत तक निर्यात ऑर्डर भी रद्द हो गए हैं. यही वजह है कि नायडू ने केंद्र सरकार से जलीय कृषि उत्पादों को लेकर कुछ विशेष मांगे रखी हैं.
मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि वर्तमान में भारत में प्रति व्यक्ति समुद्री खाद्य उपभोग केवल 12-13 किलोग्राम प्रति वर्ष है, जबकि वैश्विक औसत 20-30 किलोग्राम है. यही वजह है कि भारत में समुद्री खाद्य उत्पाद का निर्यात इतना ज्यादा होता है. खास बात है कि देश के झींगा निर्यात का 80 प्रतिशत अकेले आंध्र प्रदेश करता है और देश के कुल समुद्री निर्यात का 34 प्रतिशत एक्सपोर्ट भी आंध्र करता है, जिसका मूल्य लगभग 21,246 करोड़ रुपये प्रति वर्ष है. इससे राज्य के 2.5 लाख परिवार और संबद्ध क्षेत्रों के 30 लाख से अधिक लोग जलीय कृषि क्षेत्र पर निर्भर हैं.
इस संकट के बीच, सीएम नायडू ने कहा कि उनकी सरकार ने जलीय कृषि किसानों को समर्थन देने के लिए कदम उठाए हैं, जिसके तहत जलीय कृषि फ़ीड निर्माताओं से कीमतों में 9 रुपये प्रति किलोग्राम की कमी करवाई गई है और सब्सिडी वाले बिजली ट्रांसफार्मर की आपूर्ति पर विचार किया जा रहा है. उन्होंने केंद्र से जलीय कृषि उत्पादों के घरेलू उपयोग को बढ़ाने, जीएसटी, वित्त और अन्य में लचीलापन लाने के उपाय करके जलीय कृषि क्षेत्र को बचाने का भी अनुरोध किया.
100 करोड़ रुपये का एक फंड स्थापित करने, कोल्ड स्टोरेज और स्वच्छ मछली एवं समुद्री खाद्य बाजारों की स्थापना का आह्वान किया. साथ ही, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राज्य सरकार किसानों से सीधे बाजार तक आपूर्ति श्रृंखला की सुविधा के लिए आंध्र प्रदेश झींगा उत्पादक समन्वय समिति स्थापित करने के लिए तैयार है. मुख्यमंत्री ने समुद्री खाद्य उपभोग को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता अभियानों की आवश्यकता पर बल दिया और बताया कि जलीय कृषि उत्पाद प्रोटीन से भरपूर और अत्यधिक पौष्टिक होते हैं. उन्होंने
परिवहन को बढ़ावा देने के लिए, नायडू ने केंद्र सरकार से दक्षिण भारत से देश के विभिन्न हिस्सों में जलीय कृषि उत्पादों की शिपिंग के लिए समर्पित रेलगाड़ियां चलाने का अनुरोध किया. उन्होंने मछुआरा समुदाय के लिए किसान क्रेडिट कार्ड के तहत एक लाख रुपये का एकमुश्त टॉप-अप ऋण देने की मांग की और नए बाजारों में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए प्रसंस्करण, पैकेजिंग और कोल्ड-चेन सुविधाओं को मजबूत करने का आह्वान किया. इसके अलावा, उन्होंने केंद्र सरकार से आईसीएआर-सीआईबीए और आईसीएआर-एनबीएफजीआर जैसे प्रमुख अनुसंधान संस्थानों के क्षेत्रीय कार्यालय आंध्र प्रदेश में स्थापित करने का अनुरोध किया.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और मत्स्य पालन मंत्री राजीव रंजन सिंह को संबोधित अलग-अलग पत्रों में, मुख्यमंत्री ने दक्षिणी राज्य के जलीय कृषि क्षेत्र के सामने आने वाली कठिनाइयों को उजागर किया और उनसे समर्थन का अनुरोध किया. एक आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, केंद्रीय मंत्रियों को लिखे अपने पत्रों में नायडू ने कहा कि अमेरिका द्वारा लगाए गए करों से झींगा निर्यात पर भारी असर पड़ा है. अनुमान है कि 25,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ होगा. 50 प्रतिशत तक निर्यात ऑर्डर रद्द कर दिए गए हैं.मुख्यमंत्री के अनुसार, 2,000 कंटेनरों के माध्यम से होने वाले निर्यात पर 600 करोड़ रुपये तक का कर लगाया गया है.
(सोर्स- PTI)
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