Goat Feed: घर पर पलने वाले बकरों के लिए बना है सीआईआरजी का ये खास फीड, चारे की नहीं होगी जरूरत 

Goat Feed: घर पर पलने वाले बकरों के लिए बना है सीआईआरजी का ये खास फीड, चारे की नहीं होगी जरूरत 

Goat for Bakrid शहर में पशुओं को चराने के लिए जगह नहीं है. शहर में हरा चारा भी आसानी से नहीं मिल पाता है. और जब बकरों को हरा चारा ही खाने को नहीं मिलेगा तो वो मोटे-ताजे कैसे होंगे. लेकिन केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (CIRG), मथुरा के बनाए एक खास पैलेट फीड से स्टॉल फीड यानि घर पर पलने वाले बकरे भी हेल्दी बन सकते हैं. 

नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • May 23, 2025,
  • Updated May 23, 2025, 6:02 PM IST

Goat for Bakrid छोटी होती चारागाह और महंगा होता भूसा बकरी पालकों के लिए बड़ी परेशानी बनता जा रहा है. खासतौर से वो बकरी पालक जो घर पर दो-चार बकरे स्टॉल फीड पर पालते हैं. मतलब घर पर ही खूंटे से बांधकर उन्हें हरा-सूखा चारा खि‍लाते रहते हैं. ज्यादातर ये वो लोग होते हैं जो बकरीद पर बेचने के लिए बकरे पालते हैं. क्योंकि किसी भी बकरी पालक के लिए बकरीद सबसे बड़ा बाजार होता है. एक महीने का ये वो बाजार है जब बकरी पालक एक साल में तैयार किए गए बकरों को कुछ ही दिनों में बेच देता है. इस बाजार में उसे आम दिनों के मुकाबले बकरों के दाम भी अच्छे मिल जाते हैं. 

लेकिन जरूरत इस बात होती है कि बकरीद के लिए पाले गए बकरे तगड़े हों. हालांकि कहा ये जाता है कि पशु पालन सिर्फ गांव-देहात में ही हो सकता है. मतलब जब तक बकरे-बकरी खुले में नहीं चरेंगे तो हेल्दी नहीं बनेंगे. लेकिन घर पर पलने वाले बकरों को ध्यान में रखते हुए ही केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (CIRG), मथुरा ने एक खास फीड तैयार किया है. 

सभी तरह के चारे का मिश्रण है पैलेट फीड

गोट एक्सपर्ट और साइंटिस्ट डॉ. रविन्द्र का कहना है कि शहर में बकरा-बकरी पालन करना अब कोई मुश्कि‍ल काम नहीं है. ये कोई जरूरी नहीं है कि बकरों को फार्म और घर में रखकर सूखे, हरे और दानेदार चारे का अलग-अलग इंतजाम किया जाए. सीआईआरजी ने चारे की फील्ड में कई ऐसी रिसर्च की है कि जिसके बाद आपको बकरे के लिए तीन तरह के अलग-अलग चारे का इंतजाम करने की जरूरत नहीं है. संस्थान के साइंटिस्ट ने हरे, सूखे और दाने वाले चारे को मिलाकर पैलेट्स फीड तैयार किया है. जरूरत के हिसाब से बकरे और बकरियों के सामने पैलेट्स रख दिजिए, जब पानी का वक्त हो जाए तो पानी पिला दिजिए. इसके अलावा कुछ और न खिलाने की जरूरत है और न ही पिलाने की.

घर पर पाली जा सकती हैं बकरों की ये नस्ल 

सीआईआरजी के सीनियर साइंटिस्ट और बरबरी नस्ल के एक्सपर्ट एमके सिंह का कहना है कि बरबरी नस्ल को शहरी बकरी भी कहा जाता है. अगर आपके आसपास चराने के लिए जगह नहीं है तो इसे खूंटे पर बांधकर या छत पर भी पाला जा सकता है. अच्छा चारा खिलाने से इसका वजन नौ महीने का होने पर 25 से 30 किलो, एक साल का होने पर 40 किलो तक हो जाता है. अगर सिर्फ मैदान या जंगल में चराई पर ही रखा जाए तब भी एक साल का बकरा 25 से 30 किलो का हो जाता है.

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